नई दिल्ली : सरकार ने शुक्रवार को कहा कि 2018-19 की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर (सात फीसदी) को अगर पिछले दो वित्त वर्षो की विकास दरों के संदर्भ में देखा जाए तो कोई गिरावट का सूचक नहीं है।
आर्थिक मामलों के विभाग (डीईएफ) के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने शुक्रवार को कहा कि जीडीपी के दूसरे अग्रिम अनुमान को उच्चतर आधार में देखा जाता है।
गर्ग ने कहा, संवृद्धि को उच्चतर आधार के रूप में देखने की जरूरत है।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने गुरुवार को जारी वित्त वर्ष 2019 की राष्ट्रीय आय के दूसरे अग्रिम अनुमान में सात फीसदी की वृद्धि का आकलन किया, जोकि प्रथम अग्रिम अनुमान 7.2 फीसदी से कम है। सीएसओ ने जीडीपी विकास दर में कमी का कारण कृषि और विनिर्माण क्षेत्र की सुस्ती बताई।
गर्ग ने कहा, पिछले साल और उससे पहले के साल में जीडीपी में संशोधन किया गया। संवृद्धि उससे ऊपर है। संशोधित वास्तविक जीडीपी 2018-19 के प्रथम अनुमान से बढ़कर 144 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इस प्रकार पूर्व के अनुमानों से वास्तव में जीडीपी में वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा, इसी प्रकार मौद्रिक जीडीपी में संशोधन के बाद यह 188 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 190 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इस प्रकार प्रथम अनुमान के मुकाबले संशोधिक जीडीपी में वृद्धि हुई है। इसलिए संशोधन के कारण सात फीसदी की विकास दर को ज्यादा बड़े आधार के संदर्भ में देखा जाना चाहिए।
डीईए सचिव ने कहा, पिछले साल शुरुआत में जीडीपी विकास दर 6.7 फीसदी थी, जबकि इस साल का अनुमान 7.2 फीसदी था। अब पिछले साल की जीडीपी विकास दर में संशोधन के बाद इसे 7.2 फीसदी कर दिया गया है, जबकि 2018-19 की जीडीपी विकास दर का अनुमान सात फीसदी है। अगर इन घटकों को एकसाथ लिया जाए तो जीडीपी विकास दर असल में 6.9 फीसदी से बढ़कर 7.1 फीसदी होती है। इसलिए किसी प्रकार की गिरावट नहीं है।