मुंबई : आने वाले आम चुनाव के साथ ही अमेरिका-चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध और कच्चे तेल की कीमतें साल 2019 में भारतीय शेयर की चाल तय करेंगे।
इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के ब्याज दरों पर रुख, विदेशी फंड की दिशा, डॉलर के खिलाफ रुपये की चाल, कंपनियों के तिमाही नतीजे के साथ-साथ प्रीमियम वैल्यूएशंस से चालू साल में निवेशकों की भावनाएं प्रभावित होंगी।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने आईएएनएस को बताया, प्रीमियम वैल्युएशन, घरेलू अर्थव्यवस्था में मंदी, अगली दो तिमाहियों में सपाट कमाई की उम्मीद, शहरी और ग्रामीण बाजारों में तरलता के संकट का कैसकेडिंग प्रभाव से निकट अवधि में अस्थिरता जारी रहने की संभावना है।
उन्होंने कहा, आम चुनावों के अल्पकालिक प्रभाव के साथ ही लोकप्रिय कदम उठाने के जोखिम, वर्तमान अनिश्चितता का वैश्विक प्रभाव मिलकर 2019 में शेयर बाजारों के प्रदर्शन को प्रभावित करेंगे।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के खुदरा शोध प्रमुख दीपक जासानी ने आईएएनएस को बताया, कैलेंडर वर्ष 2019 में निफ्टी में 12,400 अंकों की ऊंचाई छूने की क्षमता है। यह विभिन्न कारकों पर निर्भर है, खासतौर से वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही भारतीय कॉर्पोरेट्स की कमाई, और एफआईआई द्वारा आम चुनाव से पहले या उसके आसपास भारतीय बाजारों में निवेश दुबारा शुरू करने पर निर्भर है।
उन्होंने कहा, फरवरी तक कॉर्पोरेट्स की कमाई का चलन, अमेरिकी फेड रिजर्व द्वारा ब्याज दरों पर अपनाए रुख, व्यापार युद्ध के मामले में हुए नवीनतम घटनाक्रमों पर निवेशकों की नजर बनी रहेगी।
एसएमसी इंवेस्टमेंट और एडवाइजर्स के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डी. के. अग्रवाल ने आईएएनएस को बताया, 2019 में पिछले साल की तुलना में शेयर बाजारों के बेहतर प्रदर्शन करने की संभावना है। हालांकि दो कारकों का भारतीय शेयर बाजारों पर नकारात्मक असर पड़ेगा, जिसमें कच्चे तेल का दामों में तेजी और एफआईआई द्वारा लगातार भारतीय बाजार से पैसा निकालना शामिल है।