नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को सभी राज्यों को मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन करने के निर्देश दिए।
इसके साथ ही न्यायालय ने कहा कि दुर्घटना में संलिप्त बिना बीमा वाले वाहन की नीलामी की जाएगी और मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) द्वारा पीड़ितों को मुआवजा देने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने सभी राज्यों को 12 हफ्तों के अंदर अपने नियमों में संशोधन करने के निर्देश दिए।
अभी फिलहाल यह नियम सिर्फ दिल्ली में है।
न्यायालय दुर्घटना पीड़ित की पत्नी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिन्होंने अपनी याचिका में कहा कि मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत वाहनों के लिए थर्ड-पार्टी बीमा अनिवार्य है और बिना बीमा के वाहन चलाना एक अपराध है।
याचिकाकर्ता उषा देवी की तरफ से पेश वकील राधिका गौतम ने कहा कि कानून के पीछे उद्देश्य था कि दुर्घटना में मारे गए या घायल हुए लोगों के परिवारों को संबंधित वाहनों के मालिक/चालकों से मुआवजा लेने के लिए वर्षो तक मुकदमा न लड़ना पड़े।
देवी के पति की जनवरी 2015 में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी और बेटा घायल हो गया था। जब वह मुआवजे के लिए एमएसीटी गई, तो न्यायाधिकरण ने पाया कि दुर्घटना में संलिप्त वाहन का बीमा नहीं है।
इसके बाद वह पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय गई और राज्य को उसके क्लेम प्रक्रिया के लिए पार्टी बनाने की मांग की, लेकिन उसकी याचिका खारिज कर दी गई। उन्होंने उच्च न्यायालय के निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी।