बीजिंग : चीन ने ताइवान को पनडुब्बी बनाने के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांरित करने के खिलाफ सोमवार को अमेरिका, भारत और अन्य देशों को चेतावनी देते हुए कहा कि इस प्रकार के कदम से बीजिंग के साथ उनके द्विपक्षीय संबंधों को ठेस पहुंच सकती है। ताइवान के पनडुब्बी निर्माण के लिए प्रस्तावित डिजाइन सौंपने वाली अमेरिका, जापान और यूरोपीय संघ की छह कंपनियों में कथित तौर पर भारत की एक कंपनी शामिल है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने यहां कहा, चीन ने ताइवान को हथियार बेचने और चीन के साथ किसी प्रकार का सैन्य संबंध बनाने वाले देश का सख्त विरोध किया है। यह विरोध स्पष्टतौर पर बना रहेगा।
उन्होंने कहा, हम अमेरिका और अन्य देशों से इस मसले की संवेदनशीलता को पूर्ण रूप से स्वीकार करने का आग्रह करते हैं। हम चीन के एकल सिद्धांत का पालन करते हुए ताइवान को पनडुब्बी कार्यक्रम की अनुमति नहीं प्रदान करने और उससे किसी प्रकार का सैन्य संबंध खत्म करने की अपील करते हैं।
हुआ ने कहा, हम उनसे मसले पर समझदारी दिखाने और द्विपक्षीय रिश्तों को चोट पहुंचाने से बचने की अपील करते हैं।चीन स्वायत्तशासी ताइवान को एक पृथक प्रांत मानता है और उसने इसे मुख्य भूभाग के साथ मिलाने का संकल्प लिया है, चाहे इसके लिए उसे बल प्रयोग क्यों न करना पड़े।
वाशिंगटन भी आधिकारिक तौर पर ताइवान को एक देश के रूप में मान्यता नहीं देता है, फिर भी ताइपे के साथ सैन्य समझौता करके वह बीजिंग की परीक्षा लेता रहा है। भारत का भी ताइवान के साथ कूटनीतिक संबंध नहीं है, लेकिन ताइवान नई दिल्ली में ताइपे आर्थिक सांस्कृतिक केंद्र का उपयोग दरअसल दूतावास की तरह करता रहा है।