नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को छह राज्यों -बिहार, पश्चिम बंगाल, केरल, छत्तीसगढ़, पंजाब और हरियाणा- को झटका देते हुए उनकी उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के चयन के लिए संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) से संपर्क करने के बदले खुद की चयन प्रक्रिया के जरिए करने की अनुमति मांगी थी।
सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने तीन जुलाई, 2018 के अपने आदेश में बदलाव करने से इंकार करते हुए छह राज्यों के आवेदनों को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि उसका आदेश हितकारी और जनहित में है। राज्यों ने अदालत के उस आदेश में बदलाव की मांग की थी, जिसमें कहा गया था कि डीजीपी की नियुक्ति के लिए समिति बनाने हेतु राज्य यूपीएससी से संपर्क करें।
सर्वोच्च न्यायालय की पीठ में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल हैं। राज्यों ने तर्क दिया कि पुलिस विभाग राज्य सरकार के अधीन है, इसलिए पुलिस विभाग का प्रमुख नियुक्त करने का अधिकार उनके पास होना चाहिए।
अदालत का आदेश यूपीएससी के सचिव द्वारा अदालत को यह बताने के बाद आया है कि 2006 के निर्णय के बाद आयोग ने राज्यों में डीजीपी नियुक्त करने के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए थे। सर्वोच्च न्यायालय ने तीन जुलाई को राज्य सरकारों को शीर्ष पुलिस अधिकारी की सेवानिवृत्ति पर कार्यकारी पुलिस प्रमुखों की नियुक्ति करने से प्रतिबंधित कर दिया था।
शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया था कि राज्य अनुमानित रिक्तियों को भरने के लिए यूपीएससी को अपने प्रस्ताव भेजेंगे। तीन जुलाई के आदेश के अनुसार, यूपीएससी तीन ऐसे सबसे वरिष्ठ अधिकारियों का पैनल बनाएगा, जिनका कार्यकाल दो साल या इससे कम रह गया हो, और उनमें से डीजीपी चुनने के लिए उन्हें राज्य सरकार के पास भेजेंगे। आदेश के अनुसार, राज्य पैनल में से एक व्यक्ति चुनेंगे, इसमें मेरिट और वरिष्ठता को वरीयता दी जाएगी।