डेरा बाबा नानक (पंजाब) : करतारपुर कॉरिडोर परियोजना से जुड़े कार्य को सरजमीं पर उतारने में भारत की तरफ से हो रही देरी के लिए केंद्र और पंजाब सरकार द्वारा एक-दूजे को जिम्मेदार ठहराए जाने के बीच उन गांवों के बाशिंदों को अंदेशा है कि जहां वे दशकों से रह रहे हैं, वहां की उनकी जमीन धर्म से जुड़ी इस परियोजना के लिए अधिग्रहीत कर ली जाएगी। वे अपनी किस्मत और अपनी जड़ से बिछुड़ जाने को लेकर फिक्रमंद हैं।
गांववालों ने हालांकि करतारपुर कॉरिडोर परियोजना का स्वागत किया है और इस परियोजना के लिए जमीन देने की उनकी दिली ख्वाहिश है। उन्हें अंदेशा है मिलने वाले मुआवजे को लेकर और यह भी कि दूसरे इलाके में जाकर बसने के लिए वह रकम पर्याप्त होगी या नहीं।
ग्रामीणों ने चार सदस्यों की एक समिति गठित की है, जो एक हफ्ता पहले सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण के लिए जारी नोटिस के मुताबिक जमीन दिए जाने के एवज में मिलने वाले मुआवजे और पुनर्वास संबंधी अपनी साझा मांग पुरजोर तरीके से उठाएगी।
इस हफ्ते की शुरुआत में समिति ने आईएएनएस संवाददाता की मौजूदगी में बैठक बुलाई थी, जिसमें स्थानीय किसान, बाशिंदे और किसान संगठनों के कार्यकारिणी सदस्य शामिल हुए थे। इसमें यह बात उठाई गई कि सरकार जैसे ही भूमि अधिग्रहण करेगी और कॉरिडोर परियोजना को अमल में लाया जाएगा, अगले तीन महीनों के अंदर 200 से ज्यादा परिवारों को अपना घर-बार छोड़कर कहीं और जाना होगा।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने कॉरिडोर परियोजना के लिए जिस इलाके में राजमार्ग का निर्माण प्रस्तावित किया है, वह अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) से महज सौ मीटर की दूरी पर है। एनएचएआई के अधिकारियों ने प्रस्तावित राजमार्ग के लिए चिह्न्ति जमीन की पहचान के लिए खेतों में लाल झंडे लगा रखे हैं।
डेरा बाबा नानक (डीबीएन) कस्बे के बहारी इलाके में स्थित पाखोके गांव निवासी किसान गुरप्रीत सिंह ने आईएएनएस से कहा, मोटे तौर पर अंदाजा लगाया जाता है कि कॉरिडोर परियोजना के लिए तकरीबन 300 एकड़ जमीन कब्जा की जाएगी। इसके अलावा सिर्फ हाईवे के लिए 54 एकड़ जमीन अलग से ली जाएगी।
इस परियोजना से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले गांव हैं- पाखोके, चंदू नांगल, डेरा बाबा नानक और जोडियां खुर्द।किसानों का कहना है कि डेरा बाबा नानकइलाका फूलगोभी की खेती के लिए मशहूर है। भूमि अधिग्रहण के चलते किसानों को अपना बुनियादी रहवास छोड़ना होगा।
दूसरे किसान सूबा सिंह ने कहा, किसान करतारपुर कॉरिडोर प्रोजेक्ट का इस्तकबाल करते हैं। जो होने जा रहा है वो बहुत बड़ा काम है। लंबे अरसे और काफी कोशिशों के बाद यह काम होने जा रहा है। हम जमीन अरजन के काम में अड़ंगा डालना नहीं चाहते। हमें फिकर तो इस बात को लेकर है कि सरकार मुआवजा कितना देगी और कहां ले जाकर बसाएगी।
भूमि अधिग्रहण के मसले पर किसानों की समिति के सदस्य सोमवार (28 जनवरी) को गुरदासपुर के उपायुक्त से मिलने वाले हैं। किसान जोगिंदर सिंह ने कहा, यहां का हर किसान गोभी उपजाकर सालाना तकरीबन दो लाख रुपये कमा लेता है। जमीन के साथ यह कमाई भी चली जाएगी। सरकार को हमें न सिर्फ बाजार के भाव से मुआवजा देना चाहिए, बल्कि खेती से होने वाली आमदनी के नुकसान की भरपाई भी करनी चाहिए।
यहां ज्यादातर छोटे किसान हैं, जिनके पास दो से पांच एकड़ तक जमीन है। वे फूलगोभी सहित विभिन्न फसलें उपजाकर गुजारा करते हैं। सिख पंथ के संस्थापक गुरु नानक देव की 550वीं जयंती इसी साल नवंबर में है। इसलिए केंद्र और पंजाब सरकार पर कॉरिडोर परियोजना को नवंबर तक पूरा करने का दबाव है।