हैदराबाद : तेलंगाना के मुख्यमंत्री के रूप में दूसरा कार्यकाल शुरू होने के 50 दिनों बाद भी कल्बकुंतल चंद्रशेखर राव पूर्ण कैबिनेट के गठन पर सभी को कयास लगाने का भरपूर मौका दे दिया है।
केसीआर के नाम से चर्चित राव ने 13 दिसंबर को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। राव की पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने सात दिसंबर को हुए विधानसभा चुनाव में भारी जनादेश हासिल किया था।
केसीआर के साथ मोहम्मद महमूद अली ने एकमात्र कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली थी। तेलंगाना विधान परिषद के सदस्य अली उपमुख्यमंत्री हैं और उन्होंने केसीआर की पिछली कैबिनेट में राजस्व प्रभार संभाला था। इस बार टीआरएस प्रमुख ने उन्हें गृह मंत्री बनाया है।
कैबिनेट विस्तार को लेकर बहुत ही अफवाहें हैं, लेकिन केसीआर ने अभी तक इस मसले पर एक शब्द भी नहीं कहा है कि वह पूर्ण कैबिनेट का गठन कब करेंगे।
राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि यह अभूतपूर्व स्थिति है। अविभाजित आंध्र प्रदेश में बिना कैबिनेट के मुख्यमंत्री ने 17 दिनों तक राज्य चलाया था, जो अब तक की सबसे बड़ी अवधि थी। सन् 1989 में एन.टी. रामाराव ने कथित रूप से बजट पेपरों के लीक होने पर पूरी कैबिनेट को बर्खास्त कर दिया था और 17 दिन बाद नई कैबिनेट का गठन किया था।
एन.टी. रामाराव की बनाई तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले केसीआर के संदर्भ में एक समीक्षक ने कहा, शिष्य अब अपने गुरु से आगे निकल गया है।
राजनीतिक समीक्षक तेलाकपल्ली रवि ने आईएएनएस से कहा, यहां, मंत्रिमंडल के गठन से बचा जा रहा है, जो बहुत ही अजीब है।
119 सदस्यीय विधानसभा में 88 सीटें जीतने के साथ सत्ता में वापसी करने वाली टीआरएस के कैबिनेट गठन को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं।
शुरू में माना जा रहा था कि केसीआर अपने कैबिनेट का विस्तार करने के लिए एक शुभ समय की तलाश कर रहे हैं। वह ज्योतिष व अंकशास्त्र के प्रबल समर्थक हैं और धार्मिक समारोहों का संचालन के लिए जाना जाते हैं हालांकि जैसे जैसे कैबिनेट के उम्मीदवारों के लिए इंतजार लंबा होता चला गया तो यह स्पष्ट हो गया कि इसके पीछे अन्य कारण हैं।
टीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में के. टी. रामा राव की नियुक्ति ने पार्टी हलकों में हलचल मचा दी की केसीआर अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाने के लिए मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं ताकि वह (केसीआर) लोकसभा चुनाव के बाद राष्ट्रीय राजनीति में अहम भूमिका निभा सकें।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि केसीआर लोकसभा चुनाव में नवनिर्वाचित विधायकों सहित कुछ टीआरएस नेताओं को मैदान में उतारना चाहते हैं ताकि केटीआर के सत्ता संभालने के लिए रास्ता बनाया जा सके।
लोकसभा चुनाव में केसीआर के भतीजे हरीश राव का नाम भी शामिल हो सकता है, जिन्हें केटीआर की ताजपोशी को लेकर नाखुश बताया जा रहा है।
रवि ने कहा, पूर्ण कैबिनेट का गठन न करना तर्कहीन है। चाहे कारण कुछ भी हो।
उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री अधिक सक्षम हो सकते हैं, लेकिन लोगों द्वारा चुने गए विधायकों का क्या? इससे यह संकेत मिलता है कि सत्तारूढ़ दल के 90 विधायक एक मंत्रालय प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि केसीआर ने शीघ्र मंत्रालय गठन में कुछ समस्याओं की आशा जताई है और उन्हें लोकसभा चुनाव से पहले कुछ गणनाएं करनी हैं।
रवि ने कहा, मंत्रालय व सामूहिक जिम्मेदारी परंपरा और लोकतांत्रिक नियमों की मांग है। केसीआर के तथाकथित क्षेत्रीय नेतृत्व को देखते हुए उन्हें मंत्रिमंडल बनाने में अधिक लोकतांत्रिक और स्पष्टवादी होना चाहिए।