कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को अपने धरने को गैर-राजनैतिक करार दिया और कहा कि यह किसी एजेंसी के खिलाफ नहीं, बल्कि लोकतंत्र को तबाह करने के नरेंद्र मोदी सरकार के अराजक कदमों के खिलाफ है।
कोलकाता पुलिस और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के बीच टकराव के बाद रविवार रात से धरने पर बैठीं बनर्जी ने कहा, हमारा सत्याग्रह किसी एजेंसी के खिलाफ नहीं है। हमारा विरोध मोदी सरकार के अराजक कदमों, देश को विभाजित करने के उनके प्रयास और लोगों के बीच नफरत, डराना व आतंक फैलाने के खिलाफ है।
उन्होंने कहा, हमारा यह विरोध प्रदर्शन भारत बचाओ बैनर के अंतर्गत हो रहा है, ताकि लोगों के संवैधानिक, लोकतांत्रिक और सामाजिक अधिकारों की सुरक्षा की जा सके। हम यह भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुरक्षित रहे और विभिन्न राज्य व केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारी निष्पक्षता से काम कर सकें। बनर्जी ने कहा कि विरोध प्रदर्शन आठ फरवरी तक जारी रहेगा।
रविवार रात से धरने की शुरुआत करते हुए उन्होंने मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह पर उनके राज्य को अस्थिर करने के लिए तख्तापलट के प्रयास का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह एक संवैधानिक विघटन है।
अपने विरोध-प्रदर्शन को देश भर से विपक्षी नेताओं के समर्थन मिलने का जिक्र करते हुए बनर्जी ने कहा कि भाजपा सरकार के खिलाफ उनकी जंग व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामूहिक लड़ाई है।
तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने कहा, यहां कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। कानून को अपना काम करना चाहिए। लेकिन अगर कोई देश के लोकतांत्रिक ताने-बाने को अवैध रूप से नष्ट करने का प्रयास करेगा तो पूरा लोकतंत्र ही असंगत हो जाएगा।
ममता के साथ मंच पर कई पार्टी सहयोगी, कई शहरों के कलाकार और बुद्धिजीवी मौजूद हैं।
ममता ने कहा, यह कोई छोटा मुद्दा नहीं है। देश भर के प्रसिद्ध नेताओं ने हमें अपना समर्थन दिया है। सभी राज्यों के राजनीतिक दल और जिनका विश्वास संघीय संरचना में है, वे हमारे पीछे हैं। यह कोई व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामूहिक लड़ाई है।
केंद्र पर एजेंसियों का इस्तेमाल कर सरकार के खिलाफ बोलने वालों के विरुद्ध तख्तापलट का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए बनर्जी ने दावा किया कि वर्तमान शासन के अंतर्गत भाजपा के खिलाफ बोलने वालों को जेल भेजा जा रहा है।