तिरुवनंतपुरम : पूर्व रक्षासचिव जी. मोहनकुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय को क्लीनचिट देते हुए शुक्रवार को कहा कि यह सौदा साफ था और प्रधानमंत्री कार्यालय की इसमें कोई भूमिका नहीं रही है। मोहनकुमार के कार्यकाल में ही राफेल सौदे को अंतिम रूप दिया गया था।
मोहनकुमार ने मातृभूमि टीवी चैनल से शुक्रवार को यह बात कोच्चि में कही। इसके पहले एक अंग्रेजी दैनिक ने फाइल पर उनकी टिप्पणी को प्रकाशित किया और कांग्रेस नेतृत्व वाले विपक्ष ने दिन में इसे लोकसभा में उठाया।
चैनल के अनुसार, वह इस शर्त पर बातचीत करने को राजी हुए कि कैमरा बंद रहे और उन्होंने कहा कि अखबार में प्रकाशित यह रपट एक फूले हुए गुब्बारे की तरह है।
केरल से संबंध रखने वाले मोहनकुमार ने कहा कि दो देशों के बीच जब इस तरह का कोई सौदा होता है, तो संबंधित देशों के प्रधानमंत्री भी यदि इसमें शामिल होते हैं तो कोई गलत नहीं है।
यद्यपि राफेल सौदे की बातचीत संप्रग शासन के दौरान शुरू हुई थी, लेकिन उसे अंतिम रूप मोहनकुमार के कार्यकाल के दौरान दिया गया, जब वह रक्षासचिव थे।