नई दिल्ली : वित्त मंत्रालय ने दो मामलों में खुफिया सेवा खर्च के तहत प्रावधान को बढ़ाने के लिए पुनर्विनियोजन आदेश की सहमति प्रदान करने से पूर्व सीएजी के पूर्व अनुमोदन के संबंध में अपने स्वयं के अनुदेशों का उल्लंघन किया। लोकसभा में रखे गए एक लेखा परीक्षा रिपोर्ट में मंगलवार को यह जानकारी दी गई।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की वित्त वर्ष 2017-18 की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त मंत्रालय ने पहले कहा था कि निधियों का कोई भी पुन:विनियोजन, जो 41-खुफिया सेवा व्यय के प्रावधान को मूल प्रावधान के 25 फीसदी या उससे अधिक तक बढ़ाता है, तो उसे कैग के पूर्वानुमोदन से ही किया जाना चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गया है, लेखापरीक्षा में दो दृष्टांत पाए गए, जहां वित्त मंत्रालय ने पुनर्विनियोजन से पहले कैग के पूर्वानुमोदन के संबंध में अपने खुद के आदेशों का उल्लंघन किया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2017-18 के लिए गृह मंत्रालय के तहत पुलिस से संबंधित अनुदान 41-खुफिया सेव व्यय में कुल मूल प्रावधान 163.65 करोड़ रुपये था।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि गृह मंत्रालय ने पिछले साल जनवरी में वित्त मंत्रालय के अनुमोदन से उपरोक्त मद के तहत प्रावधान को बढ़ाने के लिए 150 करोड़ रुपये के पुनर्विनियोजन का आदेश जारी किया।
एक और उदाहरण का हवाला देते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि गृह मंत्रालय के तहत कैबिनेट से संबंधित अनुदान के लिए कुल मूल प्रावधान केवल पांच करोड़ रुपये था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि गृह मंत्रालय ने पिछले साल सात फरवरी को वित्त मंत्रालय के अनुमोदन से 41-खुफिया सेवा व्यय के तहत प्रावधान को बढ़ाने के लिए 1.25 करोड़ रुपये के पुनर्विनियोजन के आदेश जारी किए।
कैग को भेजे अपने जवाब में मंत्रालय ने कहा कि पुनर्विनियोजन से पहले कैग का अनुमोदन प्राप्त करने की जिम्मेदारी संबंधित विभाग की है।
रिपोर्ट में कहा गया है, यह जवाब स्वीकार्य नहीं है, यह वित्त मंत्रालय की अंतिम जिम्मेदारी है कि खुफिया सेवा व्यय के बजट प्रावधान में बढ़ोतरी करने के लिए वह पहले कैग का अनुमोदन प्राप्त करे।