नई दिल्ली : गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर एक असाधारण प्रतिभा थे और वे सिर्फ भारत नहीं बल्कि दुनियाभर के अग्रणी सांस्कृतिक प्रतीक थे। यह विचार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को सांस्कृतिक सद्भाव के लिए टैगोर पुरस्कार देते हुए व्यक्त किए।
ये पुरस्कार मणिपुरी नर्तक राजकुमार सिंघजीत सिंह, बांग्लादेशी सांस्कृतिक संस्था छायानट और स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के शिल्पकार राम वानजी सुतार को सांस्कृतिक सद्भाव को बढ़ावा देने में उनके अद्वितीय योगदान देने पर क्रमश: 2014, 2015 और 2016 के लिए दिया गया।
कोविंद ने अपने संबोधन में कहा कि एक वर्ष में दिए जाने वाले इस पुरस्कार के तहत एक करोड़ रुपये नकद दिए जाते हैं। यह पुरस्कार टैगोर के योगदान और मानवीय भावनाओं को समृद्ध करने में संस्कृति को समझने तथा टैगोर की 150वीं जयंती के अवसर पर 2012 में शुरू किया गया था।
उन्होंने कहा, गुरुदेव असाधारण प्रतिभा के धनी थे। वे कई प्रसिद्ध रचनाओं के लेखक थे। 1913 में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने पर वे एशिया के एकमात्र नोबेल पुरस्कार प्राप्तकर्ता थे।
उन्होंने कहा, हालांकि वे एक लेखक से ज्यादा थे। वे एक संगीतकार, कलाकार, शिक्षाविद और दुर्लभ संवेदनशीलता वाले आध्यात्मिक विद्वान थे। वे प्रतिदिन ऐसे कवि के रूप में याद किए जाते हैं जिन्होंने भारत को राष्ट्रीय गान दिया। और वे सबसे अग्रणी सांस्कृतिक प्रतीक थे।
उन्होंने कहा कि हमारे का मतलब यह नहीं कि वे सिर्फ भारत के हैं। उन्होंने कहा कि टैगोर पूरी दुनिया के प्रतिनिधि थे। वे एक राष्ट्रवादी और अंतर्राष्ट्रवादी थे, मां भारती के एक बेटे और विश्वभारती के वकील थे।
–