नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं के समूह पर 26 मार्च से सुनवाई शुरू करेगा।
एससी/एसटी (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम संशोधन में आरोपी के तत्काल गिरफ्तारी के कड़े प्रावधान व अग्रिम जमानत पर रोक को बहाल कर दिया गया।
न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित व न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की पीठ ने सुनवाई के लिए तीन दिन निर्धारित कर दिया।
पीठ ने ऐसा महान्यायवादी के.के.वेणुगोपाल द्वारा केंद्र की दलीलों के लिए एक दिन के समय की मांग पर किया गया।
हालांकि, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि अभी यह तय करना है कि वह पूर्व के फैसले को वापस लेने की मांग वाली याचिकाओं के साथ, निवारक कानून के संशोधन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगी, या उन पर अलग-अलग सुनवाई करेगी।
न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित ने कहा, हमने यह फैसला नहीं किया है कि हम इसे एक साथ करेंगे या अलग-अलग तरीके से पुनर्विचार याचिकाओं, रिट याचिकाओं या संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेंगे।
केंद्र ने एससी/एसटी (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम के तहत शिकायत पर बिना अग्रिम जमानत के तत्काल गिरफ्तारी के कड़े प्रावधानों को कमजोर करने के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।