नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र को हिंसा और जबरन विस्थापन को समाप्त करने के लिए अधिक प्रभावी कदम उठाना चाहिए। यह बात ओ.पी. जिंदल यूनिवर्सिटी में गुरुवार को फ्यूचर ऑफ यूनाइटेड नेशंस विषय पर आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में विशेषज्ञों ने कही।
विशेषज्ञों ने कहा कि इस दिशा में उठाए जाने वाले कदमों में सुरक्षा परिषद का पुनर्गठन और विशेषाधिकार (वीटो पॉवर) प्रदान करने के नियमों में बदलाव शामिल होना चाहिए।
यूनिवर्सिटी द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र महासभा के पूर्व शेफ डे कैबिनेट विरेंद्र दयाल ने अपने संबोधन में कहा, संयुक्त राष्ट्र को जबरन विस्थापन, भुखमरी, असमानता, व्यापारिक विवाद, बढ़ते ऋण भार और मीडिया स्वतंत्रता को खतरा जैसी अनेक चुनौतियों का समाधान करना चाहिए।
पैनलिस्टों ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा शक्ति संतुलन स्थापित करने के लिए उठाए जाने वाले जिन कदमों के सुझाव दिए हैं उनमें सुरक्षा परिषद व वीटो पॉवर का पुनर्गठन, लोकतंत्र को बढ़ावा देना और विकसित देशों द्वारा पर्याप्त धन मुहैया करना और कार्यविधि के नियम शामिल हैं।
गांधीवादी अहिंसा और जापान में मेइजी क्रांति पर एक पैनलिस्ट ने जोर देकर कहा कि भारत और जापान संयुक्त राष्ट्र की कार्यप्रणाली में सद्भाव लाने में अपनी समृद्ध विरासत से लाभ पहुंचा सकते हैं।
तिमोर-लेस्टे (पूर्व तिमोर) मेंसंयुक्त राष्ट्र महासचिव के पूर्व विशेष प्रतिनिधि सुकेहीरो हसेगावा ने कहा, भारत का स्वतंत्रता संघर्ष और गांधीजी का शांति और मानवता के कल्याण के दर्शन का दुनियाभर में प्रसार हुआ है। इसी तरह मेइजी क्रांति ने जापान में शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया।
उन्होंने कहा, दोनों देश इस समृद्ध ऐतिहासिक विरासत का इस्तेमाल करके संयुक्त राष्ट्र में सद्भाव का कार्य कर सकते हैं।