नई दिल्ली : राष्ट्रीय सुरक्षा उपसलाहकार और नागा शांति वार्ता के लिए प्रधानमंत्री के विशेष दूत, आर.एन. रवि दीमापुर पहुंच रहे हैं और वह कोहिमा जाएंगे तथा अगले दो दिनों में लंबित नागा शांति वार्ता को निष्कर्ष तक पहुंचाएंगे।
सरकारी सूत्रों ने कहा कि उम्मीद है कि नागा समूह व्यावहारिक लचीलापन दिखाएंगे, लिहाजा अंतिम समझौते पर किसी भी दिन हस्ताक्षर हो सकता है।
सूत्रों ने कहा कि सरकार एक नागा सांस्कृतिक संस्था के लिए एक नागा झंडे पर विचार करने और अंतिम समझौते को नागा संविधान मानने के लिए तैयार है।
सूत्रों ने कहा कि सात नागा समूह शांति वार्ता को लेकर सहमत हैं।
रवि ने नागा पोस्ट को दिए एक हालिया साक्षात्कार में कहा था कि नागा शांति वार्ता निष्कर्ष के चरण में है।
उन्होंने कहा, समझौते के राजनीतिक सिद्धांतों, पात्रता के बुनियादी मुद्दे और शासन के संरचनात्मक मुद्दों पर आपसी सहमति बन गई है। शांति प्रक्रिया सात नागा समूहों के राजी होने के साथ सचमुच समग्र बन गई है। एमएससीएन (आई-एम) के साथ हमारी आपसी समझ है कि वे शांति प्रक्रिया में रचनात्मक सहयोग और अंतिम समझौते में उनकी भागीदारी का विरोध नहीं करेंगे। शांति समझौता किसी भी दिन हो सकता है।
यह पूछे जाने पर कि क्या वार्ता अंतिम चरण में है? रवि ने कहा कि नागा राजनीतिक मुद्दा बहुत पुराना और जटिल है और पिछले चार सालों में वार्ता करने वाले पक्षों ने काफी प्रगति की है और कई पक्षों को सुलझा लिया है।
झंडा और संविधान के मुद्दे को सुलझाने में वार्ताकार पक्षों के रुख पर रवि ने कहा कि सरकार झंडे को लेकर नागा लोगों की भावना से वाकिफ है।
उन्होंने कहा, हमारा रुख यह है कि नागा झंडा पैन नागा सांस्कृतिक संस्था में स्थित होना चाहिए, जो सभी नागाओं का एक सामूहिक मंच होगा। इसी तरह अंतिम समझौता, जिसे भारत के संविधान में उचित तरीके से शामिल करना होगा, नागा येहजाबो हो सकता है। हालांकि नागा वार्ताकार इस पर राजी नहीं हैं।
रवि ने सोमवार को आईएएनएस से बातचीत में कहा, नागा पोस्ट को दिए गए मेरे साक्षात्कार में (शांति वार्ता) सभी पक्ष शामिल हैं। हर चीज को स्पष्ट कर दिया गया है। नागा शांति वार्ता के संदर्भ में झंडा क्या है, मैंने उसका जवाब पहले ही दे दिया है।