नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने लोकसभा चुनाव में वीवीपैट पर्चियों से कम से कम 50 फीसदी ईवीएम के मिलान की व्यवस्था की मांग वाली 21 विपक्षी पार्टियों की याचिका पर सुनवाई सोमवार को स्थगित कर दी और निर्वाचन आयोग के हलफनामे पर उन्हें 8 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने का समय दिया।
आम चुनाव के पहले चरण में 11 अप्रैल को मतदान होना है। यानी अब पखवाड़े से भी कम समय रह गया है। इतने कम समय में मांग के अनुरूप व्यवस्था मुश्किल है, फिर भी अदालत ने याचियों को जवाब दाखिल करने को कहा है। आयोग ने 29 मार्च को दाखिल अपने हलफनामे में निकट भविष्य में होनेवाले चुनावों में मौजूदा व्यवस्था ही रहने देने की अनुमति देने का आग्रह किया है।
निर्वाचन आयोग ने बीते सप्ताह वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल्स (वीवीपैट) से 50 फीसदी नमूनों के मिलान की विपक्ष की मांग पर असहमति जताई थी।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई व न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने विपक्षी पार्टियों को जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया।
अदालत ने वकील अभिषेक मनु सिंघवी के निर्वाचन आयोग के हलफनामे पर जवाब दाखिल करने के लिए समय दिए जाने के अनुराध को स्वीकार करते हुए विपक्ष को एक हफ्ते का समय दिया।
वहीं आयोग ने विपक्ष की याचिका खारिज करने की मांग करते हुए अपने जवाब में कहा कि विपक्ष के पास मौजूदा सैंपल जांच की व्यवस्था में बदलाव लाने की मांग के लिए कोई आधार नहीं है। आयोग ने अदालत से आग्रह किया कि वर्तमान प्रणाली को आसन्न चुनावों के लिए जारी रखा जाए।
आयोग ने यह आग्रह विपक्ष द्वारा उठाई गई शिकायतों व राहत की मांग का जिक्र करते हुए कहा।
इसमें यह भी कहा गया है कि उचित अध्ययन और परीक्षणों के बाद यह इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि वर्तमान में अपनाई गई विधि सबसे उपयुक्त है।