नई दिल्ली :कांग्रेस ने मंगलवार को जारी अपने घोषणा-पत्र में विधि एवं न्यायपालिका से जुड़े कई महत्वपूर्ण कदम उठाने का वादा किया। इनमें विवादास्पद राजद्रोह कानून रद्द करना भी शामिल है।
पार्टी ने इसके साथ ही मानहानि को दीवानी मामले बनाने, न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय विधि आयोग (एनजेसी) बनाने, यातना देने से रोकने के लिए नया कानून बनाने, कुछ छूटों को खत्म करने के लिए अफ्सपा में संशोधन करने और बिना मुकदमे हिरासत में रखने के कानून में बदलाव का वादा किया।
पार्टी ने लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से 10 दिन पहले जारी अपने घोषणापत्र में कहा है कि अगर वह सत्ता में आई तो उच्च न्यायालयों के आदेशों और फैसलों से जुड़ी अपीलों की सुनवाई करने के लिए उच्च न्यायालय व सर्वोच्च न्यायालय के बीच एक अपीली न्यायालय का गठन करेगी। यह अदालत छह जगहों पर कई पीठों के रूप में कार्य करेगी, जिनमें तीन-तीन न्यायाधीश होंगे।
पार्टी ने कहा है कि वह एक ऐसा संविधान संशोधन विधेयक पेश करेगी, जो सर्वोच्च न्यायालय को एक ऐसे संवैधानिक न्यायालय में बदलेगा, जिसका काम संविधान की व्याख्या करने वाले मामलों और राष्ट्रीय महत्व के मामलों को सुनना और फैसला देना होगा।
यह कहते हुए कि विद्वान, स्वतंत्र एवं ईमानदार न्यायाधीश न्यायपालिका के रीढ़ होते हैं, पार्टी ने वादा किया कि वह उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय विधि आयोग का गठन करेगी। इस व्यवस्था के अस्तित्व में आने के बाद यह कोशिश होगी कि दो महीने के अंदर उच्च न्यायालयों व सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के रिक्त पदों को भर दिया जाए।
कांग्रेस ने वादा किया कि सत्ता में आने पर वह ऐसे सभी रिमांड पर लिए गए और मुकदमों का सामना कर रहे कैदियों को तत्काल रिहा करेगी, जो ऐसे मामलों का सामना कर रहे हैं, जिसमें सजा तीन साल तक होती है और जो तीन महीने जेल में बिता चुके हैं। ऐसे ही उन कैदियों को भी तत्काल रिहा करेगी, जो ऐसे मामलों का सामना कर रहे हैं, जिसमें तीन से सात साल सजा होती है और जो छह महीने जेल में गुजार चुके हैं।
पार्टी ने वादा किया कि वह सत्ता में आने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए को खत्म करेगी, जिसका संबंध राजद्रोह के मामलों से होता है। पार्टी ने कहा है कि इसका दुरुपयोग होता है, साथ ही अन्य बन चुके कानूनों के कारण वैसे भी यह धारा काम की नहीं रह गई है। इसी तरह पार्टी मानहानि के मामलों को दीवानी मामलों के दायरे में लाएगी। पार्टी ने कहा कि यह दोनों ही मामले नागरिक उल्लंघनों (सिविल वायलेशन) के दायरे में आते हैं और इनमें सिविल दंड होने चाहिए।
पार्टी ने वादा किया है कि सत्ता में आने पर वह संविधान की भावना के अनुरूप उन कानूनों में संशोधन करेगी, जो बिना मुकदमे आरोपी को हिरासत में रखने की इजाजत देते हैं।
पार्टी ने वादा किया कि वह सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (अफ्सपा) 1958 में सुरक्षा बलों के अधिकारों और नागरिकों के मानवाधिकारों में संतुलन बनाने के लिए संशोधन करेगी और जबरन लापता किए जाने, यौन हिंसा और यातना में मिली छूट (इम्युनिटी) को हटाएगी।
पार्टी ने वादा किया कि वह यातना निषेध कानून बनाएगी, जिसका मकसद हिरासत में आरोपी के खिलाफ थर्ड डिग्री टार्चर को रोकना और पुलिस की ऐसी किसी ज्यादती के खिलाफ दंड का प्रावधान करना होगा।
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