लंदन/नई दिल्ली : भगोड़े कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण मामले में भारत को फिर सफलता मिली है। युनाइटेड किंगडम के उच्च न्यायालय ने माल्या की उस अर्जी को खारिज कर दिया है जिसमें उसने वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा दिए गए उसके प्रत्यर्पण आदेश के खिलाफ अपील की अनुमति मांगी थी।
नई दिल्ली में सूत्रों ने बताया कि न्यायमूर्ति विलियम डेविस ने पांच अप्रैल को माल्या की मांग खारिज कर दी।
सूत्रों ने बताया कि माल्या के पास मौखिक अर्जी के लिए पांच दिनों का समय है।
माल्या भारत में किंगफिशर एयरलाइन के 9,000 करोड़ रुपये का कर्ज नहीं चुकाने के एक मामले में वांछित है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उस पर धोखाधड़ी, धनशोधन और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के उल्लंघन के आरोप लगाए हैं।
वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत द्वारा 10 दिसंबर 2018 को उसके प्रत्यर्पण का आदेश दिए जाने के बाद माल्या उच्च न्यायालय पहुंचा।
वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत की चीफ मजिस्ट्रेट न्यायाधीश एम्मा अर्बुथनोट ने उस समय माल्या के मामले को गृह सचिव साजिद जावेद के पास भेज दिया था। उन्होंने भी फरवरी में प्रत्यर्पण की मंजूरी दी।
माल्या (63) 9,000 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाने में विफल रहने पर दो मार्च 2016 को भारत से पलायन कर गया था। उसने अब परिचालन से बाहर हो चुकी अपनी किंगफिशर एयरलाइंस के लिए यह कर्ज लिया था। हालांकि उसने देश छोड़ने की बात से बार-बार इनकार किया है और कहा कि वह भारतीय बैंकों से लिए कर्ज की राशि वापस करने को तैयार है।
भारत ने 2017 में माल्या के खिलाफ प्रत्यर्पण की कार्यवाही शुरू की थी जिसका उसने विरोध किया। वह इस समय जमानत पर लंदन में है।
उधर, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुवाई में 13 बैंकों का समूह कर्ज की वसूली के लिए उसके खिलाफ कार्यवाही शुरू करने की तैयारी कर रही है।
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