नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को जेट एयरवेज को मौजूदा संकट के मद्देनजर उपभोक्ताओं की समस्या का शीघ्र निवारण करने के लिए नोटिस जारी किया है।
न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भम्भानी की पीठ ने नागर विमानन महानिदेशालय(डीजीसीए) और नागरिक उड्डयन मंत्रालय से भी याचिका पर जवाब दाखिल करन के लिए कहा और मामले की अगली सुनवाई 16 जुलाई को सूचीबद्ध कर दी।
याचिका उपभोक्ता अधिकार कार्यकर्ता बेजोन के. मिश्रा ने दायर की थी।
अपनी अंतरिम याचिका में, याचिकाकर्ता ने दावा किया कि जेट एयरवेज की सेवा के अचानक बंद होने से यात्री को बुरी तरह प्रभावित होना पड़ा था और इसके साथ ही याचिकाकर्ता ने सरकार से एक उचित मुआवजे के साथ पूरी राशि लौटाने का आदेश देने या फिर यात्रियों को उनके गंतव्यों तक जाने के लिए वैकल्पिक यात्रा की व्यवस्था करने का आग्रह किया।
याचिकाकर्ता के वकील शशांक देव सुधी ने कहा कि 100 से ज्यादा उड़ानों को बिना किसी नोटिस के रद्द कर दिया गया। यात्रियों को अपने तत्काल आधिकारिक और व्यक्तिगत प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी।
उन्होंने कहा कि यात्रियों को तत्काल यात्रा के वैकल्पिक साधनों या दूसरे विमान में सीट की जरूरत थी, जिससे अफरातफरी की स्थिति पैदा हुई, क्योंकि अधिकतर विमानन कंपनियां इस संकट का फायदा उठा रही थीं।
याचिका के अनुसार, यह सर्वविदित है कि सभी प्रतिस्पर्धी विमानन कंपनियों ने अपने भाड़े में जबरदस्त इजाफ कर दिया है और इससे उपभोक्ताओं को न सिर्फ पैसे के मामले में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि मानसिक प्रताड़ना भी झेलनी पड़ रही है।
मिश्रा ने इससे पहले अदालत से कहा था कि प्रशासन विमान भाड़े में बेतहाशा वृद्धि पर चुप्पी साधे तमाशबीन जैसा व्यवहार कर रहा है। उन्होंने कहा कि बिना किसी प्रभावी विमान सेक्टर नियामक के देश संकट का सामना कर रहा है।