नई दिल्ली : विपक्ष को झटका देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने इस साल हो रहे लोकसभा चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के साथ 50 प्रतिशत वोटर-वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) पर्चियों के मिलान की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।
विपक्ष ने 50 प्रतिशत वीवीपैट पर्चियों का ईवीएम से मिलान कराने की मांग करते हुए इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गगोई ने कहा, हम अपने आदेश में बदलाव करने के लिए तैयार नहीं हैं।
विपक्षी नेताओं की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी दलील में कहा कि नेताओं की मांग व्यवहारिक है क्योंकि यह उचित और सार्थक है। सिंघवी ने कहा कि अदालत को गुमराह किया जा रहा है।
अदालत ने सिंघवी की दलील पर विचार करने से मना करते हुए कहा, हम अपने पिछले आदेश को बदलने के इच्छुक नहीं हैं।
मंगलवार को शीर्ष अदालत की कार्यवाही में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू, आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद डी.राजा और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला शामिल हुए।
शीर्ष अदालत ने आठ अप्रैल को चुनाव आयोग को ईवीएम के साथ वीवीपैट की पर्चियों का मिलान हर विधानसभा क्षेत्र में एक मतदान केंद्र से बढ़ाकर पांच मतदान केंद्र करने का आदेश दिया था।
नायडू की अगुवाई में विपक्षी नेताओं ने अदालत को बताया, एक से बढ़ाकर पांच मतदान केंद्र कर देना पर्याप्त नहीं है और इससे न्यायालय से अपेक्षित संतोषप्रद नतीजे प्राप्त नहीं होंगे।
अदालत का इससे पहले दिया गया फैसला भी विपक्षी पार्टियों के लिए एक झटका था क्योंकि अदालत ने तब वीवीपैट का ईवीएम से मिलान कराने की संख्या में केवल 1.99 प्रतिशत की ही वृद्धि की थी। यानि कि मतगणना के दौरान परिणामों के सत्यापन के लिए कुल 10.35 लाख ईवीएम में से केवल 20,625 के मिलान का निर्देश दिया था।