नई दिल्ली : दिल्ली में चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैमरे लगाने की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) की प्रमुख परियोजना चार साल संघर्ष के बाद अब सिरे चढ़ने को है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को कहा कि इस परियोजना पर 8 जून से काम शुरू होगा।
दिल्ली सरकार का केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल के साथ संघर्ष की बात किसी से छिपी नहीं है। काम में अड़चनों के कारण पिछले साल मुख्यमंत्री को उपराज्यपाल के आवास पर सात दिन धरना तक देना पड़ा था।
मुख्यमंत्री ने यहां मीडिया से कहा, डेढ़ लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने का प्रस्ताव व टेंडर पास हो चुका है। 70,000 कैमरे लगाने के लिए सर्वे का काम पूरा हो चुका है और अब 8 जून से शहर के विभिन्न हिस्सों में कैमरे लगाए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि यह परियोजना दिसंबर तक पूरी हो जाने की संभावना है। केजरीवाल ने कहा कि उनका कैबिनेट इस महीने के अंत तक 1.40 लाख अतिरिक्त कैमरे लगाने के एक और प्रस्ताव को भी मंजूरी दे देगा।
उन्होंने कहा, समूचे शहर में कुल 2.80 लाख कैमरे लगाए जाएंगे। सरकार स्कूलों में भी सीसीटीवी कैमरे लगवाएगी।
केजरीवाल ने कहा, लगभग 1.5 लाख कैमरे स्कूलों में लगेंगे। इस प्रोजेक्ट पर भी काम शुरू हो गया है और यह प्रोजेक्ट नवंबर तक पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि डीटीसी बसों में कैमरे लगाने का काम भी चल रहा है।
समूची राष्ट्रीय राजधानी में सीसीटीवी कैमरे लगवाना दिल्ली सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है। आप ने दिल्ली के लोगों से इसका वादा किया था। इसमें देरी इसलिए हुई, क्योंकि कैमरों के लिए तय शर्तो पर सरकार और उपराज्यपाल के बीच सहमति नहीं बना पाई थी।
दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार पर इस परियोजना को रुकवाने और इसकी फाइल कई बार रोके जाने का आरोप लगाया था।
क्लोज्ड-सर्किट टेलीविजन (सीसीटीवी) कैमरे लगाने की परियोजना को दिल्ली सरकार ने पिछले साल अगस्त में मंजूरी दी थी। इस परियोजना को कैबिनेट ने तीन साल पहले सैद्धांतिक मंजूरी दी थी।
पिछले साल सितंबर में इस परियोजना को प्रशासनिक मंजूरी मिली और इस पर 571.40 करोड़ रुपये खर्च होना स्वीकृत किया गया। दिल्ली सरकार ने कैमरे लगाने के लिए वित्तवर्ष 2019-20 के बजट में 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था।
सरकार की योजना लगभग 2,000 कैमरे लगाने की है। नागरिकों की सुरक्षा के लिए ये कैमरे दिल्ली के सभी सातों लोकसभा क्षेत्रों के प्रत्येक विधानसभा में क्षेत्र लगाए जाएंगे।