नई दिल्ली/मुंबई : आर्थिक वृद्धि दर में दोबारा तेजी लाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा ब्याज दरों में आगे और कटौती किए जाने की संभावना है, जिसमें कम मांग, उत्पादन में कटौती और स्थिर मजदूरी दर के कारण सुस्ती छाई है।
अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वालों का मानना है कि खाद्य पदार्थो की कम कीमतों के साथ वृद्धि की चिंता को देखते हुए आरबीआई आक्रामक रूप से प्रमुख ब्याज दरों में कटौती कर सकता है।
कुल मिलाकर, शीर्ष बैंक रेपो दर में संपूर्ण वित्त वर्ष के लिए 75-100 आधार अंकों की कटौती कर सकता है। आरबीआई का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति का लक्ष्य चार फीसदी (दो फीसदी कम-ज्यादा समेत) है।
इंडिया रेटिंग एंड रिसर्च (फिच समूह) के निदेशक (सार्वजनिक वित्त) और प्रधान अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने आईएएनएस को बताया, विकास दर में सुस्ती और कम मुद्रास्फीति से आरबीआई को रेपो दर में कटौती का मौका मिला है।
उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती होगी, लेकिन शीर्ष बैंक इससे अधिक कटौती भी कर सकता है। हालांकि रेट में कटौती पर मॉनसून की प्रगति और कच्चे तेल की वैश्विक कीमत का भी प्रभाव पड़ेगा।
भारतीय स्टेट बैंक के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष के मुताबिक, रेट में बड़ी कटौती के लिए तरलता की जरूरत, राजकोषीय समेकन को ध्यान में रखना होगा, ताकि अर्थव्यवस्था को सहारा मिले।
एडिलवीस सिक्युरिटीज की मुख्य अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा, हम जून की नीतिगत समीक्षा में 25 आधार अंकों की कटौती की उम्मीद रखते हैं, इसके बाद अगली बैठक में फिर से 25 आधार अंकों की कटौती की जा सकती है। वर्तमान में रेपो रेट (जिस दर पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक कर्ज देता है) छह फीसदी है।