कोझिकोड : केरल में निपाह वायरस का प्रकोप दूसरी बार सिर्फ एक व्यक्ति पर रहा है, लेकिन पिछले साल मई में जब पहली बार राज्य में इस वायरस ने प्रकोप फैलाया, तब लगभग 47 लोगों की जिंदगी जोखिम में पड़ गई थी। बीमारों की सेवा करने वाले लोग अपनी मांग के साथ अब पिनाराई विजयन सरकार के खिलाफ हो गए हैं।
निपाह के प्रकोप के दौरान उनकी अनुकरणीय सेवा के बाद उन्हें राज्य द्वारा संचालित स्वास्थ्य विभाग में अवशोषित होने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
इन 47 लोगों में नर्सिग स्टाफ, फार्मासिस्ट, हेल्पर्स और क्लीनर शामिल रहे, जो अनुबंध के आधार पर नौकरी पर लगे थे। उन्होंने अपने जीवन को खतरे में डालते हुए विशेष निपाह वार्डो में प्रवेश किया था।
राज्य की स्वास्थ्य मंत्री के.के. शैलजा ने उन्हें नि:स्वार्थ सेवा के लिए सम्मानित किया था और राज्य सरकार की स्वास्थ्य सेवा में उन्हें सभी स्थायी नौकरी देने का वादा किया था।
निपाह के बढ़ते प्रभाव के तुरंत बाद शैलजा ने वादा किया था कि इन्हें नौकरी दी जाएगी, लेकिन अच्छी संख्या में महिलाओं सहित इन 47 नायकों को सरकारी नौकरियों में पक्का नहीं किया गया।
इन्हें कई दलीलें दी गईं और वादे किए गए, लेकिन सरकारी नौकरी का इनका सपना अधूरा रह गया। सरकारी उदासीनता का विरोध करने के लिए ये 47 स्वास्थ्य योद्धा पिछले 12 दिनों से यहां हड़ताल पर हैं।