नई दिल्ली : अगर युवराज सिंह को खो-खो खेलते वक्त चोट न लगी होती तो वो सारे रिकार्ड तोड़ देता, यह कहना है उनके पिता योगराज सिंह का।
भारत के विश्व कप हीरो युवराज ने सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया।
उनके पिता ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से कहा, जब ग्रैग चैपल टीम के कोच थे तब खो-खो खेलते वक्त अगर युवराज को घुटने में चोट न लगी होती तो वह वनडे और टी-20 के सारे रिकार्ड तोड़ देता। मैं इसके लिए चैपल को कभी मांफ नहीं करूंगा।
युवराज के अपने पिता से रिश्ते ज्यादा अच्छे नहीं रहे हैं, लेकिन हाल ही में युवराज ने कहा था कि उन्होंने कुछ दिन पहले ही अपने पिता से बात कर सभी मुद्दों को खत्म कर दिया है। योगराज ने भी कहा कि हाल ही हमें इन दोनों ने सभी कड़वाहट को खत्म किया है और अब दोनों के रिश्ते अच्छे हैं।
योगराज ने कहा, पिछले सप्ताह, हमने चंडीगढ़ में दो दिन बिताए थे और जब से युवराज ने खेलना शुरू किया तब से लेकर अब तक यह दो दिन मेरे लिए सबसे अच्छे हैं। हमने उन चीजों के बारे में बातें की जिनके बारे में पहले नहीं की थीं। उसने मुझे समझने की कोशिश की। आज जब उसने कहा कि वो जो कुछ भी है मेरी बदौलत है और इसके लिए शुक्रगुजार है तो मुझे काफी गर्व हुआ।
योगराज ने कहा, 40 साल पहले मुझे भारतीय टीम से हटा दिया गया था और तब से मेरे दिल में वो दर्द था। मैं उसी दर्द के साथ जी रहा था।
युवराज के पिता ने कहा, युवराज की कहानी वहां से शुरू होती है जब वो डेढ़ साल का था और मैंने उसे पहला बल्ला लाकर दिया था और मेरी मां गुरनाम कौर ने उसे पहली गेंद डाली। मेरे पास अभी भी वो फोटो है।
योगराज ने कहा, जब वो बड़ा हुआ तो वो स्केटिंग करने लगा और टेनिस खेलने लगा। मैं उसके स्केट और टेनिस रैकेट तोड़ देता था। वो हमारे सेक्टर-11 वाले घर को जेल कहता था और मुझे ड्रैगन सिंह लेकिन एक पिता के तौर पर मुझे अधिकार है कि मैं अपने बेटे से कहूं कि वो मुझे मेरा खोया हुआ सम्मान वापस दिलाए और एक बार फिर मुझे गर्व करने का मौका दे।
उन्होंने कहा, युवराज तब छह साल का था जब मैं उसे सेक्टर-16 के स्टेडियम लेकर गया था, जहां मैं अभ्यास करता था। वहां पेस अकादमी हुआ करती थी और मैं युवराज को बिना हेलमेट के बल्लेबाजी करने को कहता था।
युवराज के पिता ने कहा, वो स्टेडियम में रोज डेढ़ घंटे दौड़ा करता था। मुझे याद है कि मेरी मां जब अपनी जिंदगी से जूझ रही थी तब उन्होंने मुझसे कहा था कि मैं इतनी कड़ी ट्रेनिंग से युवराज की जिंदगी बर्बाद कर रहा हूं, तब जिंदगी में पहली बार मुझे अपने बेटे के साथ इस तरह का बर्ताव करने पर पछतावा हुआ।
युवराज के कैंसर के बारे में योगराज ने कहा, जब उसे कैंसर हुआ तो मैं काफी रोया। मैंने भगवान से कहा था कि यह कहानी ऐसे खत्म नहीं हो सकती। मैं अपने कमरे में अकेला रोया। मैं उसके सामने नहीं रोया। उसने मुझसे कहा था कि पापा अगर मैं मर भी गया तो मैं चाहता हूं कि आप और यह पूरा देश मेरे हाथों में विश्व कप ट्रॉफी देखे।