अर्चना शर्मा
जयपुर : राजस्थान की राजधानी जयपुर में आरटीई (शिक्षा का अधिकार) में 25 फीसदी कोटा के तहत पढ़ने वाले विद्यार्थी 12वीं तक अपनी पढ़ाई चालू नहीं रख पाए और उन्होंने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी है।
जयपुर के स्कूल में एक प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि शिक्षा के अधिकार कानून के सेक्शन 3 के तहत 6 से 14 वर्ष के हर बच्चे को उसके नजदीकी स्कूल में कम से कम आठवीं कक्षा तक शिक्षा मुहैया कराना अनिवार्य है, मगर आठवीं कक्षा पास करने के बाद विद्यार्थी अपनी पढ़ाई को आगे नहीं बढ़ा पाते।
उन्होंने कहा कि अधिकतर इन बच्चों के परिजन ही परिवार की अतिरिक्त आय के लिए उन्हें चूड़ियां बनाने या अन्य किसी काम में लगा देते हैं।
प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि हमारे पास आरटीई कोटा में कुछ प्रतिभाशाली विद्यार्थी हैं, मगर उनके परिजन उनकी उच्च शिक्षा का खर्च उठाने में असमर्थ हैं। यही कारण है कि वह उन्हें आगे पढ़ाने की जगह अतिरिक्त आय के लिए काम पर लगा देते हैं।
वहीं स्कूलों का कहना है कि वह सरकार के खिलाफ नहीं जा सकते क्योंकि उनके स्कूल की मान्यता खतरे में पड़ सकती है। मगर वह भी मानते हैं कि आरटीई कानून में बदलाव की सख्त आवश्यकता है और इसका दायरा बढ़ाए जाने की जरूरत है।
एक अन्य प्रतिष्ठित स्कूल की प्रिंसिपल का कहना है कि शिक्षा के अधिकार का यह 25 प्रतिशत कोटा बच्चों के लिए लाभदायक जरूर साबित हो रहा है जोकि देश का भविष्य हैं। मगर यह गरीब बच्चे मौलिक शिक्षा के बाद अपनी पढ़ाई चालू नहीं रख पा रहे हैं। उनके परिजन भी उनकी वह देखभाल नहीं कर पा रहे हैं जिनकी उन्हें जरूरत है। इसलिए अध्यापकों को ही इन बच्चों को अतिरिक्त समय तक पढ़ाने पर ध्यान देना होगा।
राज्य के शिक्षा मंत्री गोविंद सिह ने आईएएनएस को बताया कि गहलोत सरकार नई शिक्षा नीति पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि हमारी केंद्र सरकार को यह लिखने की योजना है कि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत आठवीं कक्षा के स्थान पर 12वीं कक्षा तक शिक्षा मुहैया हो। गोविंद ने कहा कि केंद्र सरकार को इसे गंभीरता से लेते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तौर पर देखना चाहिए।
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