कोलकाता : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कमीशन राशि (कट मनी) को लेकर मंगलवार को राज्य की राजधानी कोलकाता में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों मांग की कि वरिष्ठ तृममूल कांग्रेस के नेता तत्काल लोगों के पैसे वापस करें।
बीते कुछ हफ्तों से इस विरोध प्रदर्शन ने बंगाल को हिलाकर रख दिया है।
इस विरोध प्रदर्शन की अगुवाई भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के नेताओं ने की। इसमें राज्य महासचिव प्रताप बनर्जी व पार्टी के लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार रहे देबजीत डरकेर व भारतीय गोह शामिल रहे। इन नेताओं ने दक्षिण कोलकाता के हाजरा चौराहे पर विरोध प्रदर्शन किया। यह मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी के कालीघाट आवास से कुछ किलोमीटर दूर था।
भगवा पार्टी के कार्यकर्ता हाथों में बैनर व तख्तियां लिए थे, जिस पर रिटर्न द कट मनी, तृणमूल पार्टी कट मनी की पार्टी है। कार्यकर्ताओं ने ममता बनर्जी व उनके पार्टी नेताओं के खिलाफ नारे लगाए।
भाजपा के राज्य महासचिव सायंतन बसु ने कहा, ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी के जमीनी नेताओं से कमीशन के पैसे को वापस करने को कहा है। लेकिन सच्चाई यह है कि उन्होंने केवल 25 फीसदी राशि ली है, जबकि बाकी 75 फीसदी पैसा बनर्जी, उनके परिवार के सदस्यों व कुछ वरिष्ठ नेताओं की जेब में गया है। हम चाहते हैं कि वह बाकी 75 फीसदी राशि लोगों को लौटाए।
भाजपा नेतृत्व पहले ही कह चुका है कि वे इस मुद्दे पर बड़ा आंदोलन करेंगे।
पूर्व आईपीएस अधिकारी से भाजपा नेता बनी भारती घोष ने ममता बनर्जी पर कमीशन की राशि की वापसी की मांग करने वालों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई का आदेश देने का आरोप लगाया।
घोष, कभी ममता बनर्जी की बहुत करीबी मानी जाती थीं।
उन्होंने कहा, यह कुछ नहीं उनका नाटक है। एक तरफ वह अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को कमीशन वापस करने या कट मनी लौटाने को कह रही हैं, तो दूसरी तरफ उन्होंने पुलिस को उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है, जिन्होंने अपने पैसे वापस मांगे हैं। बीते कुछ दिनों से गांवों के बहुत से लोगों को झूठे मामलों में जेल में डाला गया है।
यह सब 18 जून को पार्टी पार्षदों की बैठक में शुरू हुआ, जब ममता बनर्जी ने सरकारी कल्याण योजनाओं को लागू करने के लिए पार्टी के पदाधिकारियों द्वारा पैसे लेने को लेकर फटकार लगाई और पदाधिकारियों को जिन लोगों से पैसा लिया है उन्हें वापस करने को कहा।
इसे लेकर कुछ दिनों में प्रदर्शन शुरू हो गया। इसे लेकर तृणमूल नेताओं, पार्षदों व पंचायत अधिकारियों के घरों का घेराव किया गया और उन पर कमीशन लेने का आरोप लगाया और उसे वापस करने की मांग की।