मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल ने समुचित विनियमन के बिना कर्ज के जरिए विकास में तेजी लाने का काम सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को सौंपे जाने के प्रति आगाह किया है, क्योंकि इससे दोबारा गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) बढ़ने की संभावना है।
स्टैंडफोर्ड यूनिवर्सिटी के 19वें सालाना सम्मेलन में भारत की आर्थिक नीति पर पटेल की प्रस्तुति के अनुसार, अतीत को दोहराने की लालच को छोड़ देना चाहिए।
उन्होंने कहा, आसान उपाय तलाशने या समस्याओं का छिपाने से काम नहीं चलेगा। इससे पूंजी को खोलने में विलंब ही होगा और पर्याप्त भावी निवेश की राह में अड़चन आएगी।
पटेल ने कहा कि सरकारी बैंकों पर दबाव डालकर विकास के चक्र को तेज करके मुख्य अर्थव्यवस्था बढ़ावा देने में दुष्कचक्र के पराकाष्ठा पर पहुंचने की क्षमता होती है।
उच्च राजकोषीय घाटे को संभालने के लिए सरकार के उपाय कमजोर हो चुके हैं और सरकारी बैंकों पर अर्थव्यवस्था या पसंदीदा सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए कर्ज देने का दबाव डाला जा रहा है।
उन्होंने कहा, इससे एनपीए बढ़ेगा जिसके लिए सरकार की ओर से इक्विटी डालने की आवश्यकता है और इससे आखिरकार राजकोषीय घाटा बढ़ेगा और कालक्रम में सरकार का दायित्व बढ़ेगा।