तिरुवनंतपुरम : केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन ने शुक्रवार को एक सदस्यीय न्यायिक आयोग द्वारा बीते महीने इडुक्की जिले के नेदुमकंदम पुलिस थाने में वित्तीय एजेंट की कथित तौर पर हिरासत में मौत की जांच की घोषणा की। इस आयोग का नेतृत्व सेवानिवृत्त न्यायाधीश के. नारायण कुरूप करेंगे और यह अपनी रिपोर्ट छह महीने में जमा करेगा।
राजकुमार (49) एक वित्तीय एजेंट था। उसकी कथित तौर पर 21 जून को नेदुमकंदम पुलिस थाने में थर्ड डिग्री यातना के बाद मौत हो गई।
केरल विधानसभा के गुरुवार को समाप्त हुए मानसून सत्र में हिरासत में हुई मौत को लेकर कई दिन विरोध प्रदर्शन हुआ और हंगामे का माहौल रहा। कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष ने मामले में न्यायिक जांच की मांग की। गुरुवार को राजकुमार की मां सीबीआई जांच की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं।
साल 2016 से केरल पुलिस के खिलाफ हिरासत में मौत का यह पांचवां आरोप है। कांग्रेस ने जांच समिति गठित करने के लिए सरकार का स्वागत किया, जबकि भाजपा ने कहा कि सीबीआई जांच ज्यादा उचित रहती।
राजकुमार एक छोटे स्तर का वित्तीय एजेंट था, जिसे 12 जून को कुछ लोगों ने घेर लिया, जिनका उसके पास पैसा बकाया था। उसे नेदुमकंदम पुलिस थाने को सौंप दिया।
हालांकि, पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी 16 जून को दर्ज की और बाद में उसे सरकारी पीरूमेदु तालुक अस्पताल में भेज दिया, जहां 21 जून को उसकी मौत हो गई।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसकी मौत का कारण निमोनिया बताया गया है, लेकिन ऑटोप्सी रिपोर्ट में राजकुमार के शरीर पर चोट के 22 निशान का खुलासा हुआ है। इसमें से ज्यादातर जांघ के नीचे थे। यह स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि हिरासत में रहने के दौरान उसे थर्ड डिग्री यातना दी गई।
हिरासत में मौत के मामले को लेकर नेदुमकंदम पुलिस थाने के चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया और इसमें से दो को गिरफ्तार किया गया है और वर्तमान में न्यायिक हिरासत में है। आठ अन्य का तबादला कर दिया।
इडुक्की जिला पुलिस अधीक्षक के.बी.वेणुगोपाल व उनके जूनियर अधिकारी के भी अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करने की संभावना है। अपराध शाखा के सूत्रों के अनुसार, पुलिस अधिकारियों की और गिरफ्तारी से इनकार नहीं किया जा सकता।