नई दिल्ली : सरकार द्वारा शुक्रवार को पेश निवेश और उपभोग केंद्रित बजट में राजस्व संग्रह सबसे बड़ी अड़चन है। रिलायंस सिक्योरिटीज का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2020 में मासिक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह का अनुमान 1,050 अरब रुपये सरकार के अनुमान के मासिक संग्रह 1,150 अरब रुपये से कम है।
जीएसटी परिषद ने उच्च कर दरों (28 फीसदी) को युक्तिसंगत बनाते हुए जीएसटी लागू होने के बाद 200 वस्तुओं पर इनमें कटौती की।
बाद में सरकार ने वित्त वर्ष 2020 के लिए अपने अनुमान को अंतरिम अनुमान 7,612 अरब रुपये से घटाकर 6,633 अरब रुपये कर दिया। इस प्रकार इसमें 980 अरब रुपये की कमी हो गई। वहीं, विद्युत वाहनों पर जीएसटी की दर 12 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी किए जाने से जीएसटी संग्रह पर असर होगा।
हमारी अपेक्षाओं के अनुसार, सरकार ने छोटे करदाताओं के लिए नियमों के अनुपालन को सरल बनाने की घोषणा की है जिसका मकसद अनुपालन बढ़ाना है जिससे जीएसटी संग्रह में वृद्धि हो।
इसलिए सरकार ने वित्त वर्ष 20 के लिए जीएसटी संग्रह में सालाना चार फीसदी की वृद्धि का अनुमान लगाया है। हालांकि असल में जीएसटी संग्रह में वित्त वर्ष 2019 के दौरान 14.1 फीसदी की वृद्धि देखी गई।
हमारा मानना है कि चालू वित्त वर्ष में जीएसटी संग्रह के संशोधित लक्ष्य के अलावा इसमें 200-300 अरब रुपये की कमी देखने को मिल सकती है। चालू वित्त वर्ष में वांछित मासिक जीएसटी संग्रह 1,150 अरब रुपये के मुकाबले सरकार द्वारा औसत जीएसटी संग्रह 1,050 अरब रुपये रहा।
सरकार ने भारतीय उद्योग के हितों की रक्षा के लिए गैर-जरूरी मदों और अन्य रणनीतिक वस्तुओं पर सीमा शुल्क में वृद्धि कर दी है। इस वृद्धि के बाद सरकार को सीमा शुल्क से राजस्व में 20 फीसदी की वृद्धि का अनुमान है।
हमारा मानना है कि अनुमान ज्यादा है क्योंकि चालू खाता घाटा कम करने के मकसद से सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम से आयात में कमी आ सकती है। इसके अलावा, वैश्विक मंदी का भी भारत के व्यापार पर असर पड़ सकता है।
बजट में उत्पाद कर से वित्त वर्ष 2020 में 400 अरब रुपये की वृद्धि का अनुमान है जोकि पिछले साल की तुलना में 15.6 फीसदी ज्यादा है।
इसलिए कुल कर राजस्व में सालाना 13.5 फीसदी की वृद्धि का अनुमान है। वास्तविक निवल कर प्राप्तियां वित्त वर्ष 2019 में 13,170 अरब रुपये रहीं जोकि अनुमान से 1,675 अरब रुपये कम है।
वास्तविक आंकड़े पर गौर करें तो वित्त वर्ष 2020 में निवल कर प्राप्तियां 16,496 अरब रुपये रहने का अनुमान है जोकि पिछले साल के मुकाबले 25.3 फीसदी अधिक है। कर संग्रह दक्षता के संदर्भ में यह आंकड़ा महत्वाकांक्षी प्रतीत होता है। इस प्रकार 1,000-1,500 अरब रुपये की कमी से राजकोषीय घाटे पर 20-40 आधार अंकों का असर पड़ सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लाभांश और अन्य ब्याज प्राप्तियों में वृद्धि से गैर-कर राजस्व सालाना 27.7 फीसदी वृद्धि के साथ 3,132 अरब रुपये प्राप्त होने का अनुमान है।
सरकार ने वित्त वर्ष 2020 में 1,050 अरब रुपये विनिवेश से प्राप्त करने के लक्ष्य को लेकर विश्वास जताया है। चालू वित्त वर्ष में प्रस्तावित एयर इंडिया का रणनीतिक विनिवेश किया जा सकता है। सरकार का लक्ष्य हालांकि वित्त वर्ष 2019 के मुकाबले ज्यादा है लेकिन हमें लगता है कि सरकार वित्त वर्ष 2020 में इसे हासिल कर पाएगी।