मुंबई : मशहूर अभिनेता नीरज काबी, जिन्होंने फिल्म राहगीर में राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता गौतम घोष के साथ काम किया है, का कहना है कि वह घोष का सम्मान व आदर करते हैं और उनके साथ काम करने का उनका सपना था।
नीरज ने आईएएनएस को बताया, गौतम घोष के साथ काम करना काफी लंबे समय से देखा गया एक सपना है जो इस फिल्म के साथ पूरा हुआ है। जब मैं युवा था तब मैं स्क्रैपबुक लिखा करता था। तीन लोग सत्यजित रे, श्याम बेनेगल और गौतम घोष के साथ काम करने की मेरी इच्छा थी।
उन्होंने आगे कहा, यह वाकई में दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस वक्त मैंने एक्टिंग की शुरुआत की, रे गुजर चुके थे। काश! उनकी किसी एक फिल्म में मैं एक बाल कलाकार के रूप में छोटा सा किरदार भी निभा पाता..श्याम बेनेगल द्वारा निर्देशित संविधान में मैंने महात्मा गांधी का किरदार निभाया था। आखिरकार, जब घोष ने मुझे राहगीर के लिए बुलाया, तो यह किसी सपने के हकीकत में बदलने जैसा था।
राहगीर दो अजनबियों- नथुनी और लखुआ की कहानी है जो अपनी जीविका के लिए किसी पास में स्थित शहर में काम की तलाश में जाते हैं और इसी सफर में दोनों की एक-दूसरे से मुलाकात होती है। किस तरह से वे एक अन्य अजनबी चौपटलाल से मिले, जिसकी गाड़ी बरसात के दौरान कीचड़ में फंस जाती है। नथुनी और लखुआ इस स्थिति में चौपटलाल की मदद करते हैं। इन तीनों में जो अलग-अगल रिश्ता बनता है, वही इसी फिल्म की कहानी है।
यह फिल्म प्रफुल्ल रॉय द्वारा लिखी गई एक छोटी कहानी पर आधारित है। नीरज ने आगे घोष की और तारीफ की और कहा, जिस तरह से उन्होंने फिल्म में मेरे किरदार को रखा, वह रचना का एक उत्कृष्ट नमूना है। जिस तरह से वह अपने कलाकारों को कहानी, कैमरा एंगेल, शॉर्ट टेकिंग के बारे में बताते हैं..कोई बस महज उन्हें देखकर काफी कुछ सीख सकता है। इसके अलावा किसी शॉट को अप्रूव करने के लिए ओके कहने का उनका एक खास तरीका है और वह उसके लिए इंतजार करते हैं।
डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी!, तलवार, वाइसरायज हाउस और हिचकी में काम कर चुके नीरज हमेशा स्क्रिप्ट का चुनाव बेहद ध्यान से करते हैं।
इसके बारे में उन्होंने कहा, मैं फिल्मों का चयन अपनी रचनात्मक संतुष्टि के लिए नहीं करता, बल्कि अपनी जीविका के लिए करता हूं। मुझे फिल्मों में ऐसे किरदार निभाने होंगे, जहां मैं अधिक से अधिक दिख सकूं, ताकि मुझे अपनी अगली फिल्म मिले। अगर मैं बड़े स्टार वाली किसी फिल्म में छोटा सा किरदार निभाता हूं, तो मुझे पता होता है कि मुझे अगली फिल्म नहीं मिलेगी, क्योंकि शायद मुझे जो किरदार दिया जाएगा वह उपेक्षनीय हो सकता है।
नीरज इसलिए फिल्मों में छोटे किरदार करने से बचते हैं। नीरज सेक्रेड गेम्स के साथ वेब के क्षेत्र में भी अपना हाथ आजमा चुके हैं, जहां उनके किरदार को काफी सराहना मिली।
उन्होंने यह भी कहा, टोरंटो फिल्म फेस्टिवल में काफी सराहना मिलने के बाद जब हम फिल्म शिप ऑफ थीसिस को भारत में थिएटर में रिलीज के लिए लाया गया, तब हम निश्चित थे कि फिल्म रिलीज होने के महज तीन दिनों के अंदर ही थिएटर से दूर हो जाएगी।
हालांकि यह भविष्यवाणी गलत साबित हुई और फिल्म ने अच्छा प्रदर्शन किया। नीरज ने कहा कि इससे उन्हें, निर्माता, निर्देशक और कलाकारों को भरोसा मिला कि अगर हम अपनी प्रतिभा और पैसे का निवेश सही जगह करते हैं, सही कहानियों में करते हैं जो कहने योग्य है तो दर्शक इसे देखने के लिए तैयार हैं।