लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के प्रदेशीय इंडस्ट्रियल एंव इंवेस्टमेंट कारपोरेशन ऑफ यूपी लिमिटेड (पिकप) में तीन जुलाई की शाम हुआ अग्निकांड सजिश का हिस्सा माना जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अग्निकांड के बाद काफी खफा थे। उनके निर्देश पर गोमतीनगर थाने में अग्निकांड की प्राथमिकी करा दी गई है।
शनिवार को शासन को सौंपी गई जांच कमेटी की रिपोर्ट में घटना की विवेचना कराने की सिफारिश को मुख्यमंत्री ने गंभीरता से लिया।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) कलानिधि नैथानी ने कहा कि पिकप की मानव संसाधन विकास-विधि में उप सामान्य प्रबंधक ऋचा भार्गव ने अज्ञात लोगों के खिलाफ वरिष्ठ प्रबंधक एन.के. सिंह के कार्यालय में फाइलें एकत्र कर आग लगाने का मुकदमा दर्ज कराया है। आग पिकप के ए-ब्लाक के दूसरे तल पर स्थित एन.के. सिंह के कक्ष व तीसरे तल स्थित एक कमरे में लगी थी।
मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर गठित जांच समिति की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पिकप भवन में साजिश के तहत आग लगाई गई। पुलिस के मुताबिक, तहरीर में किसी विभागीय कर्मचारी पर आग लगाने का संदेह जताया गया है। इससे पहले जांच समिति के अध्यक्ष और इंटेलिजेंस विभाग के एजीडी एसबी शिरडकर ने प्रभारी प्रमुख सचिव गृह अवनीश अवस्थी को जांच रिपोर्ट सौंपी।
रिपोर्ट के मुताबिक, पिकप भवन के कर्मचारियों से पूछताछ में पता चला है कि आग जानबूझकर लगाई गई थी। तकनीकी विशेषज्ञों की जांच में भी इस बात के साक्ष्य मिले हैं। आग से दो तलों को ही ज्यादा नुकसान हुआ। इन तलों पर मौजूद कौन सी फाइलें जल गईं, उनका ब्योरा तैयार किया जा रहा है। जांच में साजिश रचने वाले कुछ नाम भी सामने आए हैं।
जांच के दौरान यह भी सामने आया कि भूतल में स्थित स्टोर में भी पिकप के अहम दस्तावेज रखे थे, जो कि सुरक्षित हैं। ऐसे में यह भी सवाल उठ रहा है कि कर्ज वसूली से जुड़े दस्तावेजों को सुरक्षित क्यों नहीं रखा गया था। कर्मचारियों से पूछताछ में जांच कमेटी को साजिश की आशंका हुई थी।
पिकप भवन में हुए अग्निकांड में उद्योगों की कर्ज वसूली समेत कई अहम दस्तावेज खाक हुए हैं। बताया गया कि पिकप के ए-ब्लॉक के दूसरे व तीसरे तल पर स्थित कमरों में पुरानी रिकवरी व उद्योगों को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि से जुड़ी फाइलें रखी थीं। अब पिकप के अधिकारी इस बात का पता लगा रहे हैं कि फाइलें किन-किन उद्योगों से संबंधित थीं। पिकप के रिकवरी से जुड़े जो दस्तावेज खाक हुए हैं, वे 15 से 20 साल पुराने बताए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने शिरडकर की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर 48 घंटे में रिपोर्ट तलब की थी। जांच कमेटी ने पड़ताल में पाया कि एक व्यक्ति ने सुनियोजित तरीके से एन.के. सिंह के कमरे में फाइलें एकत्र कर आग लगाने का प्रयास किया, जिससे सरकारी संपति व महत्वपूर्ण दस्तावेजों को क्षति पहुंची थी।
कर्मचारी व गार्ड ने आग लगने की सूचना दमकल विभाग को देर से दी और अधिकारियों को सूचना देने के बाद उनके आने का इंतजार करते रहे। हालांकि उनका दावा है कि वह आग पर काबू करने की कोशिश पहले करते रहे।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जांच में सामने आया है कि घटना के वक्त वहां मौजूद लोगों के बयान में विरोधाभास था। साथ ही आग लगने के वक्त तक को अलग-अलग बताया जा रहा था। जहां पर आग लगी, वहां फाइनेंस और वित्त विभाग, जैव विविधता विभाग बोर्ड पूर्वी, एड्स नियंत्रण बोर्ड और आयकर विभाग के कार्यालय हैं।
माना जा रहा है कि इनमें फाइनेंस और वित्त विभाग का कार्यालय साजिशकर्ताओं के निशाने पर था। बताया जा रहा है कि कई मामलों में घोटालों की आशंका जताई गई थी, जिसको लेकर कई अफसर परेशान थे।