प्रदीप शर्मा
सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट में अपना पुराना फैसला वापस ले लिया है. अब इस एक्ट के तहत बिना जांच के एफआईआर दर्ज की जा सकेगी. सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला SC/ST एक्ट के प्रावधानों को हल्का करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका पर सुनाया है. अब सरकारी कर्मचारी और सामान्य नागरिक को गिरफ्तार करने से पहले अनुमति लेने की जरूरत नहीं है. इससे पहले शिकायत दर्ज करने के बाद जांच करने पर ही FIR दर्ज करने के कोर्ट ने आदेश दिए थे. अब कोर्ट ने यह बदल दिया है. अब पहले जांच जरूरी नहीं है. जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस बी आर गवई की पीठ फैसला ने सुनाया फैसला।
20 सितंबर को SC/ST एक्ट के प्रावधानों को हल्का करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था. केंद्र सरकार व अन्य ने 20 मार्च 2018 के आदेश पर फिर से विचार करने की मांग वाली पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST एक्ट के प्रावधानों को हल्का कर दिया था।
हालांकि, बाद में संसद में संशोधित कानून पास कर इन प्रावधानों को वापस लागू कर दिया था. इस संशोधन को भी चुनौती दी गई है और इसे असंवैधानिक बताया गया है. इस पर कोर्ट तीन अक्टूबर को सुनवाई करेगी. वैसे इस फैसले के बाद कानून में संशोधन कर कोर्ट का फैसला निष्प्रभावी कर दिया गया था और तुरंत गिरफ्तारी व अग्रिम जमानत ना मिलने प्रावधान लागू कर दिए गए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने फैसले में एससी एसटी कानून के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए दिशा निर्देश जारी किये थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एससी एसटी अत्याचार निरोधक कानून में शिकायत मिलने के बाद तुरंत मामला दर्ज नहीं होगा. डीएसपी पहले शिकायत की प्रारंभिक जांच करके पता लगाएगा कि मामला झूठा या दुर्भावना से प्रेरित तो नहीं है. इसके अलावा इस कानून में एफआईआर दर्ज होने के बाद अभियुक्त को तुरंत गिरफ्तार नहीं किया जाएगा. साथ ही अग्रिम जमानत का प्रावधान होगा।