इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली में बेख़ौफ़ लुटेरों ने आतंक मचा रखा है। महिला हो या पुरुष कोई भी कहीं पर भी सुरक्षित नहीं हैं, लूटपाट और लुटेरों पर अंकुश लगाने में नाकाम पुलिस अपराध के आंकड़ों की बाजीगरी से अपराध कम होने का दावा करने में जुटी हुई हैं। लूटपाट की वारदात को दर्ज़ न करके या हल्की धारा में दर्ज कर पुलिस एक तरह से लुटेरों की ही मदद कर रही हैं। पुलिस के ऐसे हथकंडों के कारण ही अपराध बढ़ रहे हैं और अपराधी बुलंद हौसले के साथ बेख़ौफ़ होकर लगातार वारदात कर रहे हैं।
महिलाओं की चेन, पर्स, मोबाइल लूटने के मामले दर्ज तक न करना पुलिस के महिलाओं के प्रति संवेदनशील होने के दावे की पोल खोल रहा है। ‘आपके लिए, आपके साथ, सदैव’ का दावा करने वाली पुलिस की हरकतों से तो लगता है कि पुलिस “अपराधी के लिए, अपराधी के साथ, सदैव” हैं। महिलाओं की सुरक्षा के प्रति संवेदनशील होने के पुलिस के दावे की पोल खोलते मामले-महिला लुट गई गिर गई, पुलिस ने लूट की बजाए चोरी की रिपोर्ट लिखी।
4 अक्टूबर को रोहिणी सेक्टर 13 में सुबह स्कूटर से जा रही ज्योति राठी से बाइक सवार लुटेरों ने चेन लूट ली। ज्योति स्कूटर से गिर गई। लुटेरे इसके बाद भी ज्योति के पास पहुंच गए और चेन का टूटा हुआ लॉकेट ले जाने लगे,शोर मचाने पर वह लॉकेट नहीं ले जा पाएं। प्रशांत विहार थाना पुलिस ने लूट/झपटमारी की एफआईआर दर्ज करने की बजाए चोरी की ई-एफआईआर दर्ज कर दी। पुलिस वालों ने ज्योति से कहा कि मैडम ऐसा रोजाना ही हैं क्या करें।
ज्योति ने खुद इलाके में घूम घूम कर सीसीटीवी फुटेज पुलिस को दिया। ज्योति ने इस मामले का वीडियो बना कर टि्वटर पर अपलोड कर दिया। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने एफआईआर में लूट की धारा जोड़ी।
इस मामले में एएसआई सखाराम को निलंबित कर दिया गया। एएसआई को निलंबित करना सिर्फ खानापूर्ति हैं। लूट को चोरी में दर्ज़ करने के लिए असल में आला अफसर जिम्मेदार होते हैं। एसएचओ, एसीपी और डीसीपी की मर्जी/सहमति/आदेश के बगैर एएसआई लूट को चोरी में दर्ज़ नहीं कर सकता।
16 सितंबर को सदर बाजार इलाके में स्कूटर सवार लुटेरे ने एक महिला से चेन छीनने में ऐसा झटका मारा कि वह सड़क पर गिर गई। महिला के पीछे से वैन और सामने से कार आ रही थी महिला कार के नीचे आते-आते बची। पुलिस को 100 नंबर पर कॉल की गई। पीसीआर महिला को थाने ले गई। पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की। महिला से एक सादे काग़ज़ पर शिकायत लिखवा ली गई। महिला के पति ने खुद लोगों के पास जाकर सीसीटीवी फुटेज दिखाने की गुहार लगाई। इसके बाद वारदात का सीसीटीवी फुटेज सामने आया। वारदात की जगह पर पुलिस का सीसीटीवी कैमरा भी लगा हुआ है लेकिन वह शो-पीस बन हुआ है। आरोप है कि सीसीटीवी फुटेज पुलिस को दिए जाने के बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। वारदात को अंजाम देने के बाद भी वह लुटेरा इलाके में ही घूमता देखा गया। सीसीटीवी फुटेज में लुटेरे के स्कूटर का नंबर भी साफ़ है। 23 सितंबर को समाचार पत्र में यह मामला उजागर होने पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की।
आईपीएस मोनिका भारद्वाज को कुछ समय पहले ही उत्तरी जिला पुलिस उपायुक्त के पद पर तैनात किया गया है। महिला डीसीपी के होते हुए पीड़ित महिला की रिपोर्ट न दर्ज करने से पुलिस का संवेदनहीन चेहरा उजागर हो गया। डीसीपी मोनिका भारद्वाज का कारनामा,88 वारदात एक ही एफआईआर में दर्ज कर दी। पश्चिम जिला पुलिस उपायुक्त के पद पर रहते हुए भी मोनिका भारद्वाज द्वारा अपराध के मामलों की FIR सही दर्ज नहीं की जाती थी। ऐसा ही एक मामला इस पत्रकार द्वारा उजागर किया गया था
तिलक नगर थाना इलाके में इस साल एक से दस मई के अंदर अलग-अलग स्थानों पर लगे एटीएम से अपराधियों ने लोगों का डाटा चोरी कर उनके बैंक खातों से लाखों रूपए निकाल लिए। वारदात के शिकार हुए लोगों ने पुलिस को शिकायत की लेकिन पुलिस ने उसी समय एफआईआर दर्ज नहीं की। जब करीब 88 शिकायतें पुलिस को मिल गई तब जाकर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। इसमें भी पुलिस ने अलग-अलग एफआईआर दर्ज करने की बजाए सारे मामले एक ही एफआईआर में दर्ज कर दिए। जो कि कानून गलत है।
लेकिन ऐसा करके ये सब पुलिस अफसर एक तरह से अपराधी की ही मदद कर उसके अपराध में शामिल हो जाते हैं। जिस तरह किसी अपराधी की मदद करने या शरण देने वाले व्यक्ति को भी अपराधी माना जाता हैं । ऐसे में यह अफसर भी अपराधी माने जाने चाहिए। अपराध को दर्ज न कर अपराधी को फायदा पहुंचाने वाले ऐसे पुलिस अफसरों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए। तब ही अपराध के मामले सही दर्ज किए जाने लगेंगे। फिर अपराध और अपराधी पर अंकुश लग सकेगा।
अब तो हालत यह है कि लुटेरों को भी मालूम है कि अगर पकड़े भी गए तो उनके द्वारा की गई अनगिनत वारदात में से सिर्फ कुछेक वारदात ही पुलिस ने दर्ज की होंगी। ऐसे में लुटेरे जल्द जमानत पर रिहा हो कर फिर से बेख़ौफ़ होकर वारदात करने लगते हैं। लूटपाट रोकने और लुटेरों पर अंकुश लगाने का सिर्फ एक ही रास्ता लूट की सभी और सही एफआईआर दर्ज की जाएं।
लूटपाट को रोकने और लुटेरों पर अंकुश लगाने का सिर्फ और सिर्फ एक मात्र रास्ता है कि पुलिस लूट की सभी वारदात को दर्ज़ करें। ऐसे में लुटेरे को सभी मामलों में जल्द जमानत भी नहीं मिल पाएगी और सज़ा होने पर जेल में ज्यादा समय तक बंद रहना पड़ेगा। इस तरीके से ही अपराध और अपराधियों पर अंकुश लग पाएगा।
पुलिस पर अपराधी को पकड़ने का दवाब रहेगा। पुलिस को अपराधी को पकड़ने के लिए मेहनत करनी पड़ेगी जो वह करना नहीं चाहती हैं। इसलिए वह अपराध को दर्ज ही न करने का तरीका अपना कर खुद को काबिल अफसर दिखाना चाहते हैं। लेकिन ऐसा करके वह अपराध और अपराधियों को बढ़ावा दे रहे हैं। अपने कर्तव्य का ईमानदारी से पालन न करके ऐसे पुलिस अफसर बहुत बड़ा अपराध करते हैं।
22 सितंबर को चितरंजन पार्क थाना इलाके में एएनआई की पत्रकार ऑटो में जा रही थी बाइक सवार लुटेरों ने मोबाइल छीना, तब वह ऑटो से नीचे गिर गई। जिससे उन्हें गंभीर चोट लगी। इस मामले में ड्यूटी में लापरवाही बरतने के आरोप में एक सब-इंस्पेक्टर और दो सिपाहियों को निलंबित किया गया। पुलिस ने इस मामले में एक संदिग्ध को पकड़ा है। 23 सितंबर को एक अन्य मामले में ओखला औद्योगिक क्षेत्र में महिला पत्रकार से बाइक सवार लुटेरों ने मोबाइल फोन लूट लिया। लेकिन पुलिस ने लूट/झपटमारी की बजाए चोरी में एफआईआर दर्ज की।
29 सितंबर की रात में ऑटो में बैठ कर घर जा रही एक महिला पत्रकार से बाइक सवार लुटेरों ने पर्स छीन लिया। घटना कैलाश कालोनी मेट्रो स्टेशन के पास हुई। आरोप है कि महिला पत्रकार ने पुलिस को फोन किया तो पुलिस कर्मी ने उनकी समस्या का समाधान करने की बजाए उनसे कहा कि मैडम आप इतनी रात को कर क्या रहे थे ? हालांकि बाद में अमर कालोनी थाने में एफआईआर दर्ज कर ली गई।
30 सितंबर को दो लुटेरों ने ऑटो में सवार एक पत्रकार का मोबाइल छीन लिया। आश्रम चौक से शुरू हुआ यह मामला सनलाइट कालोनी थाना इलाके तक जा पहुंचा। आरोप है कि पीड़ित ने 100 पर कॉल भी किया लेकिन कुछ रिस्पांस नहीं मिला। 29 सितंबर को सिविल लाइंस इलाके में ऑटो में जा रही महिला का पर्स छीनने के लिए बाइक सवार लुटेरों ने ऐसा झपट्टा मारा कि महिला ऑटो से नीचे गिर गई। बैग में दस हज़ार रुपए और अन्य सामान था। सिविल लाइंस थाने में एफआईआर दर्ज की गई है।
लुटेरों के शिकार हुए लोगों के यह तो सिर्फ वह मामले हैं जो मीडिया में आ गए। इसके अलावा रोजाना लूट-झपटमारी की अनगिनत वारदात होती हैं जिनकी सूचना मीडिया तक पहुंच भी नहीं पाती है। गली मोहल्ले तक में बेख़ौफ़ लुटेरे महिलाओं और पुरुषों को अपना शिकार बना रहे।