इंद्र वशिष्ठ
अंतरराष्ट्रीय स्तर का एक खिलाड़ी पहाड़ गंज इलाके में लुट गया। स्कूटी सवार लुटेरा मोबाइल छीन कर ले गया। लुटे खिलाड़ी के साथ दिल्ली पुलिस ने खेल कर दिया। पहाड़ गंज पुलिस ने झपटमारी के इस मामले को चोरी में दर्ज़ कर दिया। वारदात बीती रात यानी 23 नवंबर को बारह बजे ली ग्रांड होटल के बाहर हुई।
उत्तराखंड में हल्द्वानी निवासी मार्शल आर्ट के एशियाई स्तर के कोच एवं पत्रकार सतीश जोशी ने बताया कि रात को वह होटल के बाहर खड़ी अपनी कार चैक करने आए थे तभी उनके दोस्त का फोन आया। वह फोन पर बात कर रहे थे तभी लाल रंग की स्कूटी सवार लुटेरा उनका पचास हजार रुपए से ज्यादा मूल्य का फोन (वन प्लस6) छीन कर ले गया। वह पहाड़ गंज थाना गए। वहां से हवलदार राजकुमार उनके साथ घटना स्थल पर आया। इसके बाद पुलिस ने उनकी ई-एफआईआर दर्ज की। सतीश ने बताया कि लूटे जाने के बाद भी फोन एक घंटे तक चालू था। लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया।
पुलिस ने छीनने की बजाए मामला चोरी में दर्ज किया है इसका पता सतीश को इस पत्रकार द्वारा ही चला। पुलिस की इस हरकत पर हैरानी जताते हुए सतीश ने बताया कि उन्होंने सोचा भी नहीं था कि पुलिस लूट को चोरी में दर्ज़ करने की हरकत करेंगी। इससे पता चलता है कि पुलिस की लुटेरों से मिलीभगत है। उन्होंने पुलिस को बताया भी था कि वह पत्रकार हैं। उनको पुलिस पर भरोसा था इस लिए एफआईआर उन्होंने पढ़ी भी नहीं थी। सतीश ने बताया कि पुलिस ने उनसे दो कागजों पर दस्तखत कराए थे।
मार्शल आर्ट के अंतराष्ट्रीय स्तर के कोच/रेफरी एवं पत्रकार सतीश जोशी तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित इंटरनेशनल कॉम्बैट गेम्स में हिस्सा लेने आए हुए थे। वह 25 नवंबर को भारतीय दल के साथ इंडोनेशिया में आयोजित ओपन चैम्पियनशिप में भाग लेने जाएंगे। सतीश जोशी उत्तराखंड समाचार और फाइनल कॉल नामक अखबार निकालते हैं।
पहाड़ गंज इलाके में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इन कैमरों की फुटेज से ही साफ़ पता चल जाएगा कि मामला लूट का है।
दिल्ली में लूटपाट की वारदात कम नहीं होंगी। इसकी मुख्य वजह है कि दिल्ली पुलिस लूटपाट को दर्ज़ न करने या लूट को चोरी में दर्ज़ करने की अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रही हैं। अपराध को दर्ज़ न करके या हल्की धारा में दर्ज करके पुलिस अफसर एक तरह से अपराधी को फायदा पहुंचाने का अपराध कर रहे हैं। इसी वजह से अपराध और अपराधियों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।
लूटपाट के मामलों को सही दर्ज करने से अपराध में वृद्धि उजागर होगी और पुलिस पर लुटेरों को पकड़ने का दबाव रहता है। पुलिस को लुटेरों को पकड़ने के लिए मेहनत करनी पड़ेगी। पुलिस मेहनत करना नहीं चाहती। इसलिए अपराध के सभी मामलों को सही दर्ज न करने का रास्ता अपनाया हुआ है। आंकड़ों की बाजीगरी से अपराध कम होने का दावा कर दिया जाता है।
आम आदमी के नहीं वीवीआईपी के लिए पुलिस-
प्रधानमंत्री की भतीजी और जज के मोबाइल छीनने के मामले में पुलिस ने चौबीस घंटे में लुटेरों को पकड़ लिया। पुलिस सिर्फ वीवीआईपी लोगों, नेताओं और वरिष्ठ नौकरशाह के फोन तो तुरंत बरामद कर देती है। आम आदमी के छीने/ लुटे/ चोरी हुए फ़ोन बरामद करने में पुलिस की रत्ती भर भी रुचि नहीं होती। आम आदमी की रिपोर्ट तक आसानी से दर्ज नहीं की जा रही हैं।