प्रदीप शर्मा
भारतीय जनता पार्टी ने अपने उम्मीदवार किशन कठोरे का नाम वापस ले लिया है. इसके बाद कांग्रेस के नाना पटोले बने विधानसभा अध्यक्ष बन गए हैं. इससे पहले माना जा रहा था कि विधानसभा में बहुमत हासिल करने के बाद उद्धव ठाकरे सरकार की आज दूसरी कठिन परीक्षा विधानसभा के स्पीकर के चुनाव में होगी. सदन में आज विधानसभा अध्यक्ष पद का चुनाव होना था. नियमों के मुताबिक तो विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव गुप्त मतदान से होता है, लेकिन नई सरकार में सत्ता पक्ष इस बार खुले मतदान की मांग कर सकता था ताकि किसी विधायक के फूटने का कोई चांस नहीं रहे. विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में महाविकास अघाडी की तरफ से कांग्रेस के नाना पटोले और बीजेपी की तरफ से किशन कथोरे ने नामांकन दाखिल किया था. नाना पटोले बीजेपी के पूर्व सांसद है. उन्होंने ही प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ सबसे पहले मोर्चा खोला था और आरोप लगाया था कि सांसदों की बैठक में मोदी किसी को बोलने तक नहीं देते।
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भंडारा से बीजेपी के टिकट से नाना पटोले ने चुनाव लड़ा था और प्रफुल पटेल को हराया था. लेकिन बाद में नाना पटोले ने पीएम मोदी के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया और कांग्रेस में शामिल हो गए. 2019 के लोकसभा में चुनाव में नाना पटोले ने नागपुर में नितिन गडकरी से हार गए थे. प्रफुल की काट ढूंढ़ने के लिए ही बीजेपी ने नाना पटोले को भंडारा से टिकट दिया था. आज जब प्रफुल पटेल ने नाना पटोले के नाम का स्पीकर पद के उम्मीदवार के लिए आगे बढ़ाया तो नाना पटोले की तारीफ करते हुए कहा कि वह किसानों और गरीबों का नेता हैं।
शनिवार को ही महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार बहुमत साबित किया है. ठाकरे सरकार को बहुमत साबित करने के लिए 145 वोट की जरूरत थी और उसे 169 वोट मिले। बहुमत परीक्षण से पहले सदन में काफी हंगामा हुआ. बीजेपी नेता और पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा सत्र का आयोजन संवैधानिक मानदंडों के तहत नहीं है. उन्होंने प्रोटेम स्पीकर को भी बदलने पर सवाल उठाए और कहा कि बिना स्पीकर विश्वास मत नहीं होता है. उन्होंने कहा कि भारत में कार्यवाहक अध्यक्ष को कभी नहीं बदला गया तो भाजपा के कोलम्बकर को पद से क्यों हटाया गया. यह नियमों के विपरीत है।