प्रदीप शर्मा
नागरिकता कानून और NRC के खिलाफ देश भर में हो रहे प्रदर्शन और देश में मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर चर्चा के लिए कांग्रेस ने अन्य विपक्षी दलों की दिल्ली में बैठक बुलाई. इस बैठक से टीएमसी, शिवसेना और आम आदमी पार्टी समेत कई विपक्षी पार्टियों ने खुदको दूर रखा. सोमवार को हुई इस बैठक में हिस्सा लेने से पहले ही मायावती और ममता बनर्जी ने मना कर दिया था. वहीं, शनिवार को, कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने नागरिकता कानून को एक “भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी” कानून करार दिया, जिसका “नापाक” उद्देश्य लोगों को धार्मिक आधार पर विभाजित करना था. “सीएए एक भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी कानून है।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई इस बैठक में 20 दलों के नेता शामिल हुए. पार्लियामेंट एनेक्सी में हुई बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, राकांपा प्रमुख शरद पवार, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, ए के एंटनी, के सी वेणुगोपाल, गुलाम नबी आजाद और रणदीप सुरजेवाला, माकपा के सीताराम येचुरी, भाकपा के डी राजा, झामुमो के नेता एवं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, राकांपा के प्रफुल्ल पटेल, राजद के मनोज झा, नेशनल कांफ्रेस के हसनैन मसूदी और रालोद के अजित सिंह मौजूद थे।
इसके साथ ही आईयूएमएल के पी के कुन्हालीकुट्टी, लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव, पीडीपी के मीर मोहम्मद फैयाज, जद (एस) के डी कुपेंद्र रेड्डी, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी, रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा तथा कई अन्य दलों के नेता भी बैठक में शामिल हुए।
इस बैठक में शामिल होने से इनकार करने के बाद सोमवार को मायावती ने एक ट्वीट किया. उन्होंने लिखा कि जैसा कि विदित है कि राजस्थान में कांग्रेसी सरकार को बीएसपी का बाहर से समर्थन दिये जाने पर भी, इन्होंने दूसरी बार वहां बीएसपी के विधायकों को तोड़कर उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है जो यह पूर्णतयाः विश्वासघाती है. ऐसे में कांग्रेस के नेतृत्व में आज विपक्ष की बुलाई गई बैठक में बीएसपी का शामिल होना, यह राजस्थान में पार्टी के लोगों का मनोबल गिराने वाला होगा. इसलिए बीएसपी इनकी इस बैठक में शामिल नहीं होगी।