प्रदीप शर्मा
निर्भया रेप और मर्डर मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों का नया डेथ वारंट जारी कर दिया है. नए डेथ वारंट के अनुसार अब सभी दोषियों को 3 मार्च सुबह 6 बजे फांसी दी जाएगी. इससे पहले दो बार दोषियों का डेथ वारंट जारी किया जा चुका है. सबसे पहले 22 जनवरी को फांसी की तारीख मुकर्रर हुई थी। दूसरी बार 1 फरवरी को फांसी की तारीख तय की गई थी। हालांकि दोषियों के वकील ने कानूनी दांवपेच लगाकर इसे रद्द करवा दिया गया था. निर्भया की मां आशा देवी ने कोर्ट के फैसले पर संतोष जताया. उन्होंने कहा, ‘मैं बहुत खुश नहीं हूं, क्योंकि यह तीसरी बार है जब डेथ वारंट जारी किया गया. हमने अब तक बहुत संघर्ष किया है, इसलिए मैं संतुष्ट हूं कि आखिरकार डेथ वारंट जारी किया गया है. मुझे उम्मीद है कि दोषियों को 3 मार्च को फांसी दी जाएगी।
इससे पहले अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धमेंद्र राणा ने सुनवाई के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान चारों दोषियों में मुकेश कुमार सिंह ने अदालत से कहा कि वह नहीं चाहता है कि अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर उसकी पैरवी करें. इससे पहले अदालत ने वकील रवि काजी को उसका पक्ष रखने के लिए नियुक्त किया था. अदालत को यह भी सूचित किया गया कि इस मामले का अन्य मुजरिम विनय शर्मा तिहाड़ जेल में भूख हड़ताल पर है. विनय के वकील ने अदालत से कहा कि जेल में उस पर हमला किया गया और उसके सिर में चोट आयी है।
विनय के वकील ने यह भी कहा कि वह गंभीर मानसिक बीमारी से ग्रस्त है इसलिए उसे फांसी नहीं दी जा सकती. तब अदालत ने तिहाड़ जेल के अधीक्षक को कानून के मुताबिक विनय का उपयुक्त खयाल रखने का निर्देश दिया. अन्य दोषी पवन गुप्ता के वकील ने अदालत से कहा कि उनका मुवक्किल उच्चतम न्यायालय में सुधारात्मक याचिका और राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दाखिल करना चाहता है।
पवन गुप्ता चारों मुजरिमों में एकमात्र ऐसा मुजरिम है जिसने अब तक सुधारात्मक याचिका दायर नहीं की है. यह किसी भी व्यक्ति के लिए आखिरी कानूनी विकल्प होता है जिस पर चैम्बर में निर्णय लिया जाता है. पवन गुप्ता के पास दया अर्जी देने का भी विकल्प है. अक्षय कुमार के वकील ने अदालत से कहा कि उन्होंने नई दया अर्जी तैयार की है जिसे राष्ट्रपति को दिया जाएगा।
अदालत निर्भया के माता-पिता और दिल्ली सरकार की अर्जियों पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें इस हत्याकांड के चारों मुजरिमों को फांसी पर चढ़ाने के लिए नई तारीख मुकर्रर करने की मांग की गई थी. उच्चतम न्यायालय ने अधिकारियों को इस बात की छूट दी थी कि वे इन मुजरिमों को फांसी पर चढ़ाने की नई तारीख जारी करने की मांग को लेकर निचली अदालत जा सकते हैं।