इंद्र वशिष्ठ
कोरोना मरीज़ के इलाज के मुख्य अस्पताल लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में कोरोना के मरीजों के इलाज में होने वाली घोर लापरवाही के लक्षणों से पता चलता है कि मरीजों के साथ कितना अमानवीय, क्रूर और संवेदनहीन व्यवहार किया जा रहा है। जैसे लक्षण से कोरोना के मरीजों का पता चलता है इसी तरह अस्पताल के लक्षणों से इलाज में लापरवाही का पता चलता है। कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए बनाए गए मुख्य अस्पताल के इस मामले ने खुद को दिल्ली के बुजुर्गों का बेटा मानने वाले अरविंद केजरीवाल, दिल्ली सरकार और डॉक्टरों के तमाम दावों की धज्जियां उड़ा दी।
कोरोना पीड़ित मरीज़ को बिना इलाज, भूखे रख कर एक तरह से उसे मरने के लिए छोड़ देने का यह मामला किसी मीडिया ने नहीं बल्कि पीड़ित मरीज के परिवार ने उजागर किया है। जहांगीर पुरी में रहने वाले अरविंद गुप्ता की जान बचाने के लिए उसकी बेटी प्रतिभा गुप्ता और पत्नी ने एक वीडियो बना कर अस्पताल और सरकार की पोल खोल दी। इस वीडियो के वायरल होने के बाद सरकार के कान पर जूं रेंगी और मरीज़ की सुध ली।
प्रतिभा गुप्ता ने वीडियो में बताया कि 16 अप्रैल की रात में दो बजे उसके पिता दो मिनट के लिए बेहोश हो गए थे। वह उनको इलाज के लिए शालीमार बाग में फोर्टिस अस्पताल में ले गए। वहां के डाक्टरों ने टेस्ट कराने के बाद कहा कि वह कोरोना पाज़िटिव हैं। सरकारी आदेश के अनुसार इनका इलाज सिर्फ लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में ही होगा। प्रतिभा के अनुसार हमारी राय या मर्ज़ी के बिना उनके पिता को लोकनायक अस्पताल में भेज दिया गया।
शुगर मरीज को खाना तक नहीं दिया-
18 अप्रैल की शाम को अस्पताल के बाहर एंबुलेंस में दो तीन घंटे के इंतजार के बाद उसके पिता को लोकनायक अस्पताल वालों ने भर्ती किया। भर्ती किए जाने के बाद उन्हें किसी डॉक्टर ने नहीं देखा यहां तक कि उनको खाना भी नहीं दिया गया जबकि वह डायबिटीज/ शुगर, हाइपरटेंशन के मरीज हैं। भर्ती किए जाने के अगले दिन सुबह यानी 19 अप्रैल को उनको नाश्ता दिया गया। इसके बाद दोपहर में उनसे कह दिया गया कि नरेला क्वारंटीन सेंटर में भेजा जाएगा। सारा दिन वह इंतजार करते रहे आधी रात को कहा कि अब तो देर हो गई कल भेजेंगे।
मरीज़ ने परिवार से कहा मुझे बचाओ-
प्रतिभा के अनुसार 20 अप्रैल को सुबह 5 बजे उसके पापा का फ़ोन आया और उन्होंने रोते हुए कहा कि मुझे 102 बुखार है। मुझे बचाने के लिए मुझे यहां से निकालो और किसी प्राइवेट अस्पताल में ले जाओ। यहां तो अभी तक न तो डाक्टर ने देखा और न ही कोई उनकी सुनवाई कर रहा है। अपने पिता की ऐसी हालत सुन कर प्रतिभा ने अपनी मां के साथ वीडियो बनाया और उसे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी टैग कर टि्वट कर दिया।
मां- बेटी का रोते हुए बनाया यह वीडियो सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हुआ। इसके बाद सरकार और डाक्टर हरकत में आए और उसके पिता की सुध ली गई और उनके लिए अलग से कमरे की व्यवस्था भी की गई यह जानकारी भी प्रतिभा गुप्ता ने ही दूसरा वीडियो जारी करके दी।
अमानवीय ही नहीं, आपराधिक मामला-
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और डॉक्टरों को भी इतना तो मालूम ही होगा कि किसी शुगर पीड़ित मरीज़ को भूखा रखना, इलाज न करना या इलाज में लापरवाही बरतना भी आपराधिक लापरवाही होती हैं। ऐसा करने वाले के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती हैं।
मरीज़ और उसके परिजनों को यह जानने का कानूनन हक़ है कि डाक्टर द्वारा उनका क्या इलाज़ किया जा रहा है यानी उनको क्या दवा आदि दी जा रही है।
दिल्ली पुलिस के सिपाही ने भी खोली सरकार के दावों की पोल-
सचिन ने कहा कि एक फ्लोर पर बीस मरीजों को रखा गया है और सिर्फ एक बाथरूम है। चद्दर और तकिया कवर भी नहीं बदले जा रहे हैं। सचिन ने कहा कि उनके बच्चों का भी सरकार ने कोरोना टेस्ट नहीं कराया है। उन्हे कह दिया गया कि प्राइवेट सिटी लैब में 4500 रुपए में खुद टेस्ट करा लो। सरकार तो सुविधा उपलब्ध होने पर ही टेस्ट कराएगी। सचिन का कहना है कि हमें सीजीएचएस की सुविधा के तहत किसी प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया जाए। इस पर कहा गया कि एंबुलेंस मंगा कर खुद चले जाओ।
जहां तक दवा, गर्म पानी, चद्दर आदि न देने और टेस्ट न कराने की बात है तो यह डाक्टरों, अस्पताल प्रशासन और दिल्ली सरकार के ऊपर सवालिया निशान लगाते हैं।
हालांकि जिस तरह से सचिन ने वीडियो में दिखाया कि एक ही फ्लोर पर बीस मरीजों को रखा गया है तो उसमें कुछ भी ग़लत नज़र नहीं आता है वीडियो में साफ़ नज़र आ रहा है कि फ्लोर पर पार्टीशन करके एक-एक हॉल में 5-5 मरीजों को रखा गया है और उनके बिस्तरों के बीच पर्याप्त दूरी भी है। वहां का माहौल भी साफ सुथरा दिखाई दे रहा है। बाथरूम भी ठीक है सिपाही जिसे एक बाथरूम बता रहा है उसके अंदर अलग-अलग बने कई शौचालय वीडियो में ही दिखाई दे रहे हैं।
कोरोना के मरीजों को तो अस्पताल में भर्ती कर दिया जाता है। परिवार को भी क्वारंटीन में रहना होता है। संक्रमण के कारण मरीज़ से कोई अस्पताल में मिल भी नहीं सकता है। ऐसे में अस्पताल में मरीज की देखभाल, इलाज और खाने की व्यवस्था को लेकर परिजनों को चिंता होना स्वाभाविक ही है। बीमारी से जूझ रहे परिजनों को यह भरोसा दिलाने की व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए कि अस्पताल में इलाज़, खाने और देखभाल में कोई लापरवाही नहीं बरती जा रही है।
कोरोना के मरीज के साथ इस तरह का व्यवहार किए जाने से लगता है कि उनको उनके घर वालों से अलग कर अस्पताल में अकेला राम भरोसे छोड़ दिया जाता है। कुछ क्वारंटीन सेंटर में मरीजों द्वारा हंगामा किए जाने की खबरें आती रही हैं कहीं ऐसा तो नहीं मरीज़ इलाज में लापरवाही के कारण हंगामा करते हो ?
करोना मरीजों के इलाज में लापरवाही और सरकार के इंतजाम की पोल मरीजों द्वारा खोली जाने लगी है। सरकार को इस तरह के मामले उजागर होने पर इलाज और व्यवस्था सुधारने के इंतजाम करने चाहिए।
लेकिन यह भी हो सकता है कि पोल खुल जाने से बौखला कर सरकार मरीजों के अस्पताल में मोबाइल फ़ोन रखने पर ही रोक लगा दे।केजरीवाल ऐसा करने में माहिर हैं वह लोगों से कहते हैं कि अस्पताल में दवाई नहीं मिल रही है तो उसकी शिकायत करो या कहीं भी भ्रष्टाचार है तो आप मोबाइल से स्टिंग कर लो। दूसरी ओर ऐसी भी खबरें बहुत आती रही हैं कि केजरीवाल से मिलने आने वाले लोगों यहां तक कि पार्टी के लोगों से भी उनका मोबाइल बाहर रखवा लिया जाता हैं।