प्रदीप शर्मा
कृषि क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धा और निवेश बढ़ाने के लिए वर्ष 1955 से मौजूद एसेंशियल कमोडिटीज़ एक्ट में बदलाव लाया जा रहा है. इसके लिए केंद्रीय कानून बनाया जाएगा. इसकी मदद से किसानों के लिए बैरियर-मुक्त अंतर-राज्यीय व्यापार संभव हो सकेगा. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज यह बात कही।
कोरोना वायरस की महामारी के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन मीडिया से बातचीत की. उन्होंने आज आर्थिक पैकेज में किसानों और ग्रामीण भारत के लिए दी गई राहतों के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने बताया कि कृषि के आधारभूत ढांचे के लिए एक लाख करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया है. गौरतलब है कि प्रेस कॉन्फ्रेस के पहले चरण में वित्त मंत्री ने बुधवार को लघु और मध्यम दर्जे के उद्योग और रियल एस्टेट सहित कुछ अन्य सेक्टर को दी जाने वाली राहतों के बारे में बातचीत की थी जबकि गुरुवार को उन्होंने किसानों और प्रवासी मजदूरों को दी जाने वाली सुविधाओं-सहूलियतों के बारे में बताया था।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अलावा वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने भी मीडिया से बात की. उन्होंने कहा कि पीएम किसान योजना के तहत किसानों को 18,700 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए हैं. न्यूनतम समर्थन मूल्य देने के लिए व्यवस्था की गई. किसानों को 6400 करोड़ रुपये के क्लेम दिए गए. पांच हजार करोड़ की एडिशनल लिक्विडिटी की मदद किसानों को दी गई. इससे दो करोड़ किसानों को लाभ हुआ है।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान दूध की मांग 20 से 25 फीसदी घटी है. कोऑपरेटिव से रोज़ाना 560 लाख लीटर दूध खरीदा गया, जबकि रोज़ाना बिक्री सिर्फ 360 लाख लीटर की हुई।
उन्होंने कहा कि 74,300 करोड़ की MSP का भुगतान किया गया, 6,400 करोड़ का फसल बीमा भुगतान किया गया है. किसान क्रेडिट कार्ड के लिए दो लाख खरोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. कृषि आधारभूत ढांचे के लिए 1,00,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने कहा कि कृषि भंडारण में मदद के लिए सहकारी समितियों, समूहों को फंडिंग दी जाएगी. कृषि उद्यम की ब्रांडिंग के लिए 10,000 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के माध्यम से मछुआरों के लिए 20,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इससे मछली उत्पादन में 55 लाख रोज़गार पैदा होंगे. एक लाख करोड़ रुपये का मछली निर्यात होगा. मछुआरों और नाविकों का बीमा किया जाएगा. 70 लाख टन मछली उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य तय किया गया है।
उन्होंने कहा कि पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास फंड के लिए 15,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. सारे मवेशियों का टीकाकरण किया जाएगा. राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के लिए 13,343 करोड़ रुपये आवंटित करने का निर्णय किया गया है।
हर्बल कल्टीवेशन के लिए 4,000 करोड़ रुपये, 10 लाख हेक्टेयर (25 लाख एकड़) में हर्बल खेती होगी, किसानों को 5,000 करोड़ रुपये की आय होगी. मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
टमाटर, प्याज़, आलू के लिए बनाया गया ऑपरेशन ग्रीन्स अब सभी फल-सब्ज़ियों पर लागू होगा. इसे ‘टॉप टु टोटल’ योजना कहा जाएगा, जिसके लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।