प्रदीप शर्मा
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास कई क्षेत्रों में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तनाव की स्थिति बरकरार है और 2017 के डोकलाम गतिरोध के बाद यह सबसे बड़ी सैन्य तनातनी का रूप ले सकती है. उच्च पदस्थ सैन्य सूत्रों का कहना है कि भारत ने पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी में अपनी स्थिति मजबूत की है. इन दोनों विवादित क्षेत्रों में चीनी सेना ने अपने दो से ढाई हजार सैनिकों की तैनाती की है और वह धीरे-धीरे अस्थायी निर्माण को मजबूत कर रही है।
भारत और चीन की सरकारो को चाहिए कि पैंगोंग त्सो, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी क्षेत्र में दोनों देश की सेनाओं के बीच बढ़ते तनाव को कम करने के लिए राजनयिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।
सेना की उत्तरी कमान के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डी एस हुड्डा (अवकाशप्राप्त) ने कहा, “यह गंभीर मामला है. यह सामान्य तौर पर किया गया अतिक्रमण नहीं है.” लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा ने विशेष रूप से इस बात पर बल दिया कि गलवान क्षेत्र पर दोनों पक्षों में कोई विवाद नहीं है, इसलिए चीन द्वारा यहां अतिक्रमण किया जाना चिंता की बात है।
रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ एवं चीन में भारत के राजदूत रह चुके अशोक कांत ने भी लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा से सहमति जताई. उन्होंने कहा, “चीनी सैनिकों द्वारा कई बार घुसपैठ की गई है. यह चिंता की बात है. यह सामान्य गतिरोध नहीं है. यह परेशान करने वाला मामला है.”
इस इलाके का भारत के लिए काफी महत्व है क्योंकि यह घाटी रणनीतिक लिहाज से अहम श्योक-दौलत बेग ओलाइड रोड के करीब है,जो पिछले साल पूरा हुआ था। गलवान घाटी के नजदीक चीनी सेना की मौजूदगी कारोकोरम पास के जाने वाली सड़क के लिए खतरा बन सकते हैं क्योंकि इसी सड़क के जरिए भारतीय सेना की तैनाती की जाती है। भारत ने भी इस इलाके में सेना की तैनाती बढ़ा दी है। निगरानी बढ़ा दी है, चीनी घुसपैठियों को वापस भेजने के लिए बल का प्रयोग नहीं करने को कहा गया है।
सूत्रों ने बताया कि चीनी सेना के साथ 6 दौर की बात असफल रही है। पैंगोंग शो झील और गलवान फिंगर इलाके के करीब चीनी सेना ने स्थायी बंकर बनाने के लिए कुछ इलाके में खुदाई की है। इससे संकेत मिलता है कि चीनी सेना यहां नई पोस्ट बनाना चाहती है। इसका मतलब ये होगा कि 1960 के बाद पहली बार LAC के साथ छेड़छाड़ की कोशिश होगी। ऐसी भी खबरें हैं कि भारत ड्रोन के इस्तेमाल के जरिए ऐसे पॉइंट को खोजने की कोशिश कर रही है जहां से चीनी सेना कोई हरकत कर सकती है।