प्रदीप शर्मा
राजस्थान में पिछले तीन हफ्तों से जारी सियासी खींचतान के बीच राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा सत्र बुलाने की अशोक गहलोत कैबिनेट के अनुरोध को सोमवार को दूसरी बार खारिज कर दिया। विधानसभा सत्र बुलाने से संबंधित फाइल को राजस्थान राजभवन ने राज्य के संसदीय मामलों के विभाग को वापस लौटा दिया।
इसके साथ ही राजभवन ने राज्य सरकार से कुछ जरूरी जानकारियां मांगी हैं और विधानसभा सत्र बुलाने पर अभी कोई फैसला नहीं लिया जा सका। राज्यपाल ने राज्य सरकार से पूछा, ‘क्या आप विश्वासमत का प्रस्ताव लाना चाहते हैं? यह प्रस्ताव में नहीं है लेकिन इसके बारे में आप मीडिया में बात कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘कोविड-19 महामारी के कारण विधानसभा सत्र के लिए सभी विधायकों को बुलाना मुश्किल होगा. क्या आप विधानसभा सत्र बुलाने के लिए 21 दिन का नोटिस देने पर विचार कर सकते हैं?’
राजस्थान सरकार ने विधानसभा सत्र 31 जुलाई से बुलाने के लिए राज्यपाल के पास शनिवार को संशोधित प्रस्ताव भेजा था. इस प्रस्ताव में राज्यपाल द्वारा विधानसभा सत्र बुलाने का कारण पूछने सहित छह बिंदुओं पर स्पष्टीकरण दिया गया था। इससे पहले शुक्रवार को विधानसभा सत्र बुलाने की कैबिनेट की मांग को खारिज करते हुए राजभवन ने छह बिंदुओं पर जवाब मांगा था। राजभवन द्वारा जिन छह बिंदुओं को उठाया गया था उनमें से एक यह भी था कि राज्य सरकार का बहुमत है तो विश्वास मत प्राप्त करने के लिए सत्र बुलाने का क्या औचित्य है?
इसके साथ ही राज्यपाल ने यह भी कहा था कि विधानसभा सत्र किस तिथि से आहूत किया जाना है, इसका उल्लेख कैबिनेट नोट में नहीं है और न ही कैबिनेट द्वारा कोई अनुमोदन किया गया है। इसके बाद शनिवार को गहलोत कैबिनेट ने विधानसभा सत्र बुलाने के लिए दोबारा प्रस्ताव पास किया था। बता दें कि राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र रविवार को राजभवन में राज्य के मुख्य सचिव राजीव स्वरूप और पुलिस महानिदेशक भूपेंद्र यादव से मिले थे।
इस दौरान मिश्र ने प्रदेश में कोरोना वायरस के संक्रमण के बढ़ते मामलों पर गहरी चिंता जाहिर की. राज्यपाल ने कहा कि एक जुलाई से आज तक कोरोना वायरस महामारी के प्रदेश में मामले तीन गुना हो गए हैं। राज्यपाल ने निर्देश दिये कि प्रदेश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों पर नियंत्रण के लिए गंभीरता से प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी पर प्रदेश में नियंत्रण करने के लिए नई रणनीति बनाने पर विचार करना होगा।
बता दें कि राज्य में कोरोना वायरस महामारी बढ़ने पर राज्यपाल की चिंता इसलिए महत्वपूर्ण क्योंकि अशोक गहलोत सरकार के विधानसभा सत्र बुलाने की मांग को राज्यपाल ने कोरोना वायरस महामारी का हवाला देते हुए ही खारिज कर दिया था।