प्रदीप शर्मा
कोरोना वायरस संकट काल के बीच शुरू हुआ मॉनसून सत्र वक्त से पहले ही खत्म हो गया. बुधवार को राज्यसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. राज्यसभा में हुए हंगामे के बाद से ही विपक्ष ने सदन का बहिष्कार किया और बीते पूरे दिन राज्यसभा में विपक्ष के सांसद मौजूद नहीं रहे. इसी दौरान केंद्र सरकार ने ऊपरी सदन में सात बिलों को पास करवा लिया, जिनका आने वाले वक्त में काफी महत्व है।
मंगलवार को राज्यसभा में विपक्ष के मौजूद ना होने से सरकार को बिलों को पास कराने में कोई दिक्कत नहीं आई. और सिर्फ साढ़े तीन घंटे के वक्त में ही सात बिलों को ध्वनि मत से आसानी से पास करवा दिया गया. सिर्फ बिल पेश हुए, सत्ता दल के सांसदों ने ही अपनी बात कही और बिल ध्वनि मत से पास हो गया। हालांकि, विपक्ष की ओर से AIADMK, BJD, YSR-Congress, TDP जैसी कुछ पार्टियों ने बहस में हिस्सा लिया. जो सरकार में ना रहते हुए भी कई बार मोदी सरकार का साथ देती रही हैं।
हलाकि कृषि व अन्य विधेयकों को लेकर विपक्षी दल केंद्र सरकार पर हमलावर हैं और सभी दल सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर रहे हैं. विपक्षी दलों के सदन की कार्यवाही के बॉयकॉट के बावजूद राज्यसभा में आज बुधवार तीन लेबर कोड बिलों को पारित कर दिया गया है. इन तीनों बिलों को कल लोकसभा में पारित किया गया था. आज यह बिल राज्यसभा से भी पारित हो गए. अब राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद यह कानून बन जाएंगे. सरकार का दावा है कि यह बिल श्रम क्षेत्र में बड़े सुधार लाएंगे. हालांकि कई श्रमिक संगठन और कांग्रेस पार्टी इनका विरोध भी कर रही है।
संसद ने बुधवार को तीन प्रमुख श्रम सुधार विधेयकों को मंजूरी दे दी, जिनके तहत कंपनियों को बंद करने की बाधाएं खत्म होंगी और अधिकतम 300 कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की इजाजत के बिना कर्मचारियों को निकालने की अनुमति होगी. राज्यसभा ने ध्वनि मत से औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा और व्यावसायिक सुरक्षा पर शेष तीन श्रम संहिताओं को पारित किया. इस दौरान आठ सांसदों के निष्कासन के विरोध में कांग्रेस, वामपंथी और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने राज्यसभा की कार्रवाई का बहिष्कार किया।
श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने तीनों श्रम सुधार विधेयकों पर हुई बहस का जवाब देते हुए कहा, ‘‘श्रम सुधारों का मकसद बदले हुए कारोबारी माहौल के अनुकूल पारदर्शी प्रणाली तैयार करना है.” उन्होंने यह भी बताया कि 16 राज्यों ने पहले ही अधिकतम 300 कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की अनुमति के बिना फर्म को बंद करने और छंटनी करने की इजाजत दे दी है. गंगवार ने कहा कि रोजगार सृजन के लिए यह उचित नहीं है कि इस सीमा को 100 कर्मचारियों तक बनाए रखा जाए, क्योंकि इससे नियोक्ता अधिक कर्मचारियों की भर्ती से कतराने लगते हैं और वे जानबूझकर अपने कर्मचारियों की संख्या को कम स्तर पर बनाए रखते हैं।
राज्यसभा की कार्यवाही में आज सात विधेयकों को लाए जाने का फैसला किया गया, जिसमें 3 लेबर कोड बिल के अलावा विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन विधेयक 2020, क्वालिफाइड फाइनेंशियल कॉन्ट्रैक्ट्स बिल 2020 और जम्मू कश्मीर आधिकारिक भाषा बिल शामिल थे. वहीं, विपक्ष ने सदन के बहिष्कार का फैसला किया. विपक्ष ने अपनी तीन मांगों के साथ यह ऐलान किया है कि वह तब तक सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं होंगे, जब तक उनकी इन मांगों को नहीं मान लिया जाता।