प्रदीप शर्मा
28 साल पुराने बाबरी विध्वंस केस में आखिरकार फैसला आ गया है. लखनऊ की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने मामले में फैसला सुनाते हुए लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह, नृत्यगोपाल दास सहित सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि बाबरी विध्वंस सुनियोजित नहीं था. कोर्ट ने कहा कि ‘अराजक तत्वों ने ढांचा गिराया था और आरोपी नेताओं ने इन लोगों को रोकने का प्रयास किया था.’
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि ‘आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं और सीबीआई की ओर से जमा किए गए ऑडियो और वीडियो सबूतों की प्रमाणिकता की जांच नहीं की जा सकती है.’ कोर्ट ने यह भी कहा है कि भाषण का ऑडियो क्लियर नहीं है।
इस हाई-प्रोफाइल मामले में भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता जैसे- लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और कल्याण सिंह जैसे नेता शामिल थे. कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. बता दें कि इस केस की चार्जशीट में बीजेपी के एलके आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह समेत कुल 49 लोगों का नाम शामिल है. जिनमें से 17 लोगों का निधन हो चुका है, बाकी 32 आरोपियों को कोर्ट ने मौजूद रहने के लिए कहा गया था. आडवाणी और जोशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े थे।
केस में बरी होने के बाद मामले में आरोपी रहे बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की प्रतिक्रिया आई है. आडवाणी ने एक बयान जारी कर कहा कि इस फैसले ने उनकी और बीजेपी की रामजन्मभूमि आंदोलन के लेकर उनके विश्वास को और मजबूत किया है। 92 साल के आडवाणी ने बयान में कहा, ‘मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि यह फैसला नवंबर, 2019 में सुप्रीम कोर्ट के दिए गए उस फैसले के पदचिन्हों पर आया है, जिसने अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने का रास्ता सुनिश्चित किया, जिसका भूमि-पूजन 5 अगस्त को किया गया था.’
आडवाणी ने आगे कहा, ‘मैं अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं, नेताओं, संतों और खासकर उन सभी लोगों के प्रति आभारी हूं, जिन्होंने अयोध्या आंदोलन के दौरान अपनी निस्वार्थ सेवा और बलिदान से मुझे समर्थन और संबल दिया.’
इस मामले पर लखनऊ की स्पेशल सीबीआई कोर्ट के स्पेशल जज एसके यादव ने फैसला सुनाया है. इस फैसले के बाद वो रिटायर हो जाएंगे. उन्हें 30 सितंबर, 2019 को ही रिटायर होना था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस केस के लिए उनका कार्यकाल फैसला आने तक बढ़ा दिया था।
विध्वंस को लेकर दो आपराधिक केस दर्ज किए गए थे. पहला FIR नंबर 197 और दूसरा FIR नंबर 198. 197 वाले FIR में ‘लाखों कारसेवकों’ के खिलाफ केस दर्ज किया गया, जिसमें आईपीसी की धारा 153 A (धार्मिक आधार पर दुश्मनी फैलाना), 297 (श्मशान में अतिक्रमण करना), 332 (सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्य से डिगाने के लिए जानबूझकर चोट पहुंचाना), 337 (दूसरों की जिंदगी और निजी सुरक्षा को खतरे में डालना), 338 (जिंदगी खतरे में डालकर गंभीर चोट पहुंचाना), 395 (डकैती) और 397 (लूटपाट, मौत का कारण बनने की कोशिश के साथ डकैती) के तहत केस दर्ज किया गया था।
FIR नंबर 198 में आठ लोगों के नाम थे- लाल कृष्ण आडवाणी, एमएम जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा और विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर और विष्णु हरि डालमिया का नाम है. इन नेताओं के खिलाफ आईपीसी की धाराओं- 153 A (धार्मिक आधार पर दुश्मनी फैलाना), 153-B (दंगा कराने के इरादे से भड़काऊ गतिविधियां करना) और 505 (जनता को भड़काने के लिए भड़काऊ बयान देने) के तहत केस दर्ज कराया गया था।