प्रदीप शर्मा
कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार पर कर्ज की अदायगी नहीं करने वालों पर कृपा करने का आरोप लगाया और सोमवार को दावा किया कि इस सरकार ने बीते चार वर्षों में तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज बट्टे खाते में डाल दिया।
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, सरकारी बैंकों में जमा जनता के पैसे से 3.16 लाख करोड़ रुपये का कर्ज बट्टे खाते में डाल दिया, जबकि 14 फीसदी कर की वसूली हो सकी और मोदी कृपा से डिफाल्टर्स को बचने का अवसर मिला।
सुरजेवाला ने भगोड़े कारोबारी विजय माल्या से जुड़ी एक खबर शेयर करते हुए कहा कि माल्या की लूट बरकरार है, क्या फोर्स इंडिया सेल फार्मूला वन टीम में 13 बैंकों ने 380 करोड़ रुपये गवां दिए? उन्होंने सवाल किया, क्या मोदी सरकार जनता का पैसा बचाने के लिए सही कदम उठाएगी या फिर माल्या को भारत से भागने में मदद करने जैसा कदम उठाएगी?
इन चार वर्षों के दौरान 21 बैंकों ने जितने कर्ज को बट्टे खाते में डाला है, वह 2014 से पहले 10 साल में कुल मिलाकर बट्टे खाते में डाले गए कर्ज के 166 फीसदी से भी ज्यादा है।
हालांकि, संसद की वित्त मामलों की स्थायी समिति के सामने पेश रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2018 तक के चार साल में लोन की वसूली दर 14.2 फीसदी रही है, जो निजी बैंकों के 5 फीसदी के मुकाबले तीन गुना ज्यादा है. आंकड़ों के अनुसार कुल बैंक एसेट में 21 सार्वजनिक बैंकों का हिस्सा जहां 70 फीसदी है, वहीं बैंकिंग सेक्टर के कुल एनपीए में उनका हिस्सा 86 फीसदी है।
गौरतलब है कि सरकार सार्वजनिक बैंकों में लगातार इक्विटी पूंजी डालकर या अन्य तरीकों से उनके बहीखाते को मजबूत करने की कोशिश कर रही है. इसके बावजूद उनके खाते में बैड लोन या फंसे कर्जों की मात्रा बढ़ती जा रही है।
लोन को रिटेन ऑफ एकाउंट में डालना या राइट ऑफ करने का मतलब है कि उस लोन को बिना वसूली के बैंक के बहीखाते से बाहर कर दिया जाता है यानी बट्टे खाते में डाल दिया जाता है।