प्रदीप शर्मा
राफेल डील को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि ये जनहित याचिका नहीं बल्कि राजनीतिक हित की याचिका है. ये चुनाव का समय है और कोर्ट को इसमें दखल नहीं देना चाहिए. केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया कि ये नेशनल सिक्योरिटी का मामला है. केंद्र सरकार ने कहा कि ये जनहित याचिका नहीं है बल्कि राजनीति से प्रेरित याचिका है और ये समय चुनाव का है अगर कोर्ट याचिका पर नोटिस जारी करता है तो सीधे प्रधानमंत्री को जाता है. इस याचिका पर सुनवाई की जरूरत नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा चलिए ये मान लीजिए कि मैं आपसे इस डील की जानकारी केवल कोर्ट को देने को कहता हूं? तो क्या आप कोर्ट को देंगे. कोर्ट ने इस मामले में राफेल डील को लेकर फैसले की प्रक्रिया की जानकारी केन्द्र सरकार से मांगी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हम केंद्र को नोटिस जारी नहीं कर रहे है. ये भी साफ कर रहे हैं कि याचिकाकर्ताओं की दलीलों को भी नहीं रिकार्ड कर रहे है, क्योंकि उनकी दलीलें पर्याप्त नहीं हैं. हम सिर्फ डील को लेकर फैसले की प्रक्रिया पर खुद को संतुष्ट करना चाहते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह बताए कि उसने राफेल डील को कैसे अंजाम दिया है. कोर्ट ने सरकार से कहा है कि 29 अक्टूबर तक वह डील होने की प्रक्रिया उपलब्ध कराए. मामले की अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी.
वहीं सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने कहा कि ये मामला पहले से ही संसद में है. याचिकाकर्ता के वकील एमएल शर्मा ने कोर्ट से कहा कि अगर इस मामले में करप्शन हुआ है तो इसकी जांच होनी चाहिए. शर्मा ने कहा कि जो दस्तावेज हमने कोर्ट में दिए हैं उसमें एक राफेल की कीमत 71 मिलियन यूरो है और इसमें करप्शन हुआ है.
CJI ने पूछा कि इस केस में उनका क्या कहना है ? शर्मा ने भारत फ्रांस संधि के सिलसिले में विएना कन्वेंशन का ज़िक्र किया. फ्रांस संसद में पेश ओरिजिनल दस्तावेज का हवाला देते हुए राफेल की मूल और असली कीमत 71 मिलियन का दावा किया. सरकार पर 206 मिलियन यूरो के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया.