प्रदीप शर्मा
आजाद हिंद फौज के 75वें स्थापना दिवस पर देश में नेताजी सुभाष चंद्र बोस को लेकर फिर राजनीति शुरू हो गई है। पहले पीएम ने लाल किले से अपने संबोधन में कांग्रेस के ऊपर नेताजी और सरदार पटेल जैसी विभूतियों को भुलाने का आरोप लगाया तो अब कांग्रेस का पलटवार भी सामने आ गया है। कांग्रेस ने कहा है कि विरासत विहीन बीजेपी जल बिन मछली जैसे तड़प रही है। कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी का आजादी के आंदोलन में कोई योगदान नहीं रहा, इसलिए वह विरासत हथिया रही है। कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पिछली सरकारों में नेताजी के सम्मान में किए गए कामों को गिनाते हुए पीएम मोदी को इतिहास पढ़ने की सलाह दी और कहा कि अगर मोदी इतिहास पढ़ लेंगे तो देश का ही भला होगा।
रविवार को आजाद हिंद फौज के स्थापना दिवस के 75वें साल पर आयोजित एक कार्यक्रम में पीएम ने कांग्रेस पर निशाना साधा। मोदी ने गांधी परिवार पर निशाना साधते हुए कहा कि एक परिवार को बड़ा बनाने के लिए देश के अनेक सपूतों चाहे सरदार पटेल हो, बाबा साहब अंबेडकर हों, उन्हीं की तरह ही नेताजी के योगदान को भुलाने की कोशिश हुई। पीएम ने देश के पहले पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू का नाम लिए बिना तंज कसते हुए कहा कि आजादी के बाद अगर पटेल और बोस का नेतृत्व मिलता तो स्थितियां अलग होतीं।
कांग्रेस प्रवक्ता के मुताबिक, बीजेपी-संघ की विचारधारा और नेताजी की विचारधारा काफी अलग थी. नेताजी कांग्रेस अध्यक्ष रहे. आजादी के बाद पहले भाषण में नेहरू जी ने नेताजी को याद किया. नेहरू ने आजाद हिंद फौज के सदस्यों के लिए अदालत में कानूनी लड़ाई लड़ी न कि किसी आरएसएस के सदस्य ने की।
सिंघवी ने कॉन्फ्रेंस में ये भी कहा कि नेताजी ने NPC नेशनल प्लानिंग कमेटी बनाई थी, जिसे बाद में नेशनल प्लानिंग कमीशन बनाया गया. मोदी सरकार ने उसे ध्वस्त कर नीति आयोग का गठन किया और अब आडंबर कर रहे हैं।
सिंघवी ने आगे कहा कि कांग्रेस सरकारों ने नेताजी की विरासत को संजोया. नेताजी ने साम्प्रदायिक संगठनों जैसे हिन्दू महासभा और मुस्लिम लीग के खिलाफ लेख लिखे थे. जब नेताजी आंदोलन कर रहे थे, तब सावरकर अभियान चला रहे थे कि ब्रिटिश सेना में भर्ती होनी चाहिए. वही ब्रिटिश सेना जो INA से लड़ रही थी।
सिंघवी ने मोदी के आरोपों का खंडन किया और बोले कि गांधी जी को नेताजी ने ही राष्ट्रपिता कहा था. जबकि, अब कोशिश ये हो रही है कि इतिहास में गांधी-बोस में या नेहरू-बोस में वैमनस्य होने की बात लिखे जाने की कोशिश की जा रही है।
साथ ही उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को इतिहास का ज्ञान नहीं है. इस शुभ अवसर पर राजनीति से बाज नहीं आते बल्कि उल्टा इतिहास पढ़ाते हैं।
उन्होंने दुख जताया और कहा “आज मैं निश्चित तौर पर कह सकता हूं कि स्वतंत्र भारत के बाद के दशकों में अगर देश को सुभाष बाबू, सरदार पटेल जैसे व्यक्तित्वों का मार्गदर्शन मिला होता, भारत को देखने के लिए वो विदेशी चश्मा नहीं होता, तो हालात अलग होते।
पीएम मोदी ने कहा कि इसकी वजह से भारत की परंपरा, भारतीय संस्कृति, हमारी पाठ्य पुस्तकों की अनदेखी हुई। पीएम ने कहा कि सुभाष बाबू ने कैम्ब्रिज के अपने दिनों को याद करते हुए लिखा था, “हम भारतीयों को ये सिखाया जाता है कि यूरोप, ग्रेट ब्रिटेन का ही बड़ा स्वरूप है, इसलिए हमारी आदत यूरोप को इंग्लैंड के चश्मे से देखने की हो गई है.” पीएम ने कहा कि उन्हें खुशी है कि देश अब नेताजी के दिखाये रास्ते पर चल रहा है. उन्होंने कहा कि भारत का संतुलित विकास, प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्र निर्माण का मौका, राष्ट्र की प्रगति में उनकी भूमिका, नेताजी के वृहद विजन का हिस्सा थी।