प्रदीप शर्मा
राफेल विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से अब तक की सबसे अहम जानकारी मांगी है। कोर्ट ने सरकार से कीमत से जुड़ी जानकारी सीलबंद लिफाफे में देने को कहा है. हालांकि, सरकार के वकील का कहना है कि ऐसा संभव नहीं है. वहीं, कोर्ट ने सरकार से ये भी सार्वजनिक करने को कहा है कि ऑफसेट पार्टनर चुनने की प्रक्रिया क्या थी?
देश के सबसे बड़े कोर्ट ने जब सीलबंद लिफाफे में विमान की कीमतों की जानकारी मांगी तो सरकार के वकील यानी अटॉर्नी जनरल ने कहा, “ऐसा कर पाना मुमकिन नहीं है.” इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप (अटर्नी जनरल) ये कहते हुए लिखित हलफनामा दाखिल कर दें कि ऐसा मुमकिन नहीं है. कोर्ट ने ये भी कहा कि ऑफसेट पार्टनर को चुने जाने की प्रक्रिया भी याचिकाकर्ताओं को बताएं।
राफेल मामले में सरकार से वो जानकारी सार्वजनिक करने को कहा गया है जो इस लायक हो और इसी के तहत ऑफसेट पार्टनर को चुने जाने की प्रक्रिया भी याचिकाकर्ताओं को देने की बात कही गई है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा, “हमें दी गई जानकारी में से जो भी सार्वजनिक करने लायक है, वो जानकारी याचिकाकर्ताओं को उपलब्ध कराइए।
सुप्रीम कोर्ट राफेल डील से संबंधित चार याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। इसमें से एक ऐडवोकेट प्रशांत भूषण, पूर्व मंत्री अरुण शौरी व यशवंत सिन्हा की याचिका भी है। इसमें तीनों कोर्ट की मॉनिटरिंग में सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि इसके लिए आपको इंतजार करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पहले सीबीआई को अपना घर दुरुस्त कर लेने दीजिए। अटॉर्नी जनरल ने बेंच को बताया कि राफेल की कीमत विशिष्ट सूचना है और यहां तक कि इसे संसद में भी साझा नहीं किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट के सामने केंद्र की तरफ से पेश किए गए दस्तावेज ऑफिशल सिक्रिट्स ऐक्ट के तहत आते हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि रणनीतिक और गोपनीय समझे जाने वाले दस्तावेजों को साझा नहीं किया जा सकता है। उसने केंद्र से अगले 10 दिन में भारत के ऑफसेट साझेदार की जानकारी सहित अन्य सूचनाएं मांगी हैं। याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पीठ ने यह भी कहा कि किसी भी जनहित याचिका में राफेल सौदे की उपयुक्तता या तकनीकी पहलुओं को चुनौती नहीं दी गई है।