प्रदीप शर्मा
आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने इस्तीफा दे दिया है. पटेल ने अपने इस्तीफे के पीछे निजी वजह बताई है. हालांकि कहा जा रहा है कि गवर्नर उर्जित पटेल और केंद्र सरकार के बीच कई मुद्दों पर मतभेद और तनातनी की स्थिति थी. हालांकि पिछले दिनों आरबीआई की बोर्ड बैठक के बाद खबर आई थी कि सरकार और उर्जित पटेल के बीच चीजें ठीक हो गई हैं, लेकिन सोमवार को अचानक उन्होंने इस्तीफा दे दिया. उर्जित पटेल ने अपने बयान में कहा, ‘मैं व्यक्तिगत कारणों की वजह से तत्काल प्रभाव से अपने पद से इस्तीफा दे रहा हूं. बीते वर्षों में आरबीआई में काम करना मेरे लिए गर्व की बात रही. इस दौरान आरबीआई के अधिकारियों, प्रबंधन और स्टाफ का भरपूर सहयोग मिला. मैं आरबीआई बोर्ड के सभी निदेशकों और सहकर्मियों का शुक्रिया अदा करता हूं’.
गौरतलब है कि उर्जित पटेल और केंद्र सरकार के बीच पिछले दिनों केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता के मसले पर टकराव की स्थिति पैदा हो गई. खबर आई कि वित्त मंत्रालय ने रिजर्व बैंक कानून की धारा सात को लागू करने पर विचार विमर्श शुरू कर दिया है. यह धारा सरकार को जनहित के मुद्दों पर रिजर्व बैंक गवर्नर को निर्देश देने का अधिकार देती है. दूसरी तरफ, यह भी कहा गया कि सरकार रिजर्व बैंक से 3.60 लाख करोड़ रुपये की मांग कर रही है, जिसका आरबीआई ने विरोध किया है. इन सब मुद्दों पर सरकार और उर्जित पटेल के बीच लगातार खटास की खबरें आती रहीं. इस खींचतान के बीच गवर्नर उर्जित पटेल ने 9 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. इसके कुछ दिनों बाद ही आरबीआई की बोर्ड बैठक हुई और कहा गया कि उर्जित पटेल और सरकार के बीच जारी तनातनी खत्म हो गई है।
पटेल लंदन स्कूल इकोनॉमिक्स से स्नातक हैं और फिर उन्होंने प्रितिष्ठित येल यूनिवर्सिटी से पीएचडी की. पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के करीबी सहयोगी माने जाने वाले पटेल को महंगाई के खिलाफ मोर्चा संभालने वाले राजन के मजबूत सिपाही के तौर पर जाना जाता है. वह समिति के अध्यक्ष भी रहे जिसने थोक मूल्यों की जगह खुदरा मूल्यों को महंगाई का नया मानक बनाए जाने सहित कई अहम बदलाव लाए।