प्रदीप शर्मा
लोकसभा चुनाव के महासमर से पहले सत्ता का सेमीफाइनल कहे जा रहे 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए अपनी चिर प्रतिद्वंद्वी बीजेपी को पछाड़ दिया है। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में जहां उसने बीजेपी को करारी शिकस्त दी है, वहीं मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस को बढ़त मिली है। पीएम मोदी के राष्ट्रीय राजनीति में उदय के बाद ऐसा पहली बार है जब कांग्रेस सीधी लड़ाई में बीजेपी को मात दे रही है। हालांकि कांग्रेस को मिजोरम में तगड़ा झटका लगा है। राज्य में मिजो नैशनल फ्रंट ने दो तिहाई बहुमत मिला है, कांग्रेस नॉर्थ ईस्ट में अपना आखिरी किला भी गंवा चुकी है।। वहीं, तेलंगाना टीआरएस के गुलाबी रंग में रंग गया और पार्टी ने दो तिहाई बहुमत हासिल की है।
इन चुनावी नतीजों से सभी दलों के लिए कई संकेत निकलकर सामने आए हैं। ये संकेत अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले देश में कई नए समीकरणों और गठबंधनों को जन्म दे सकते हैं। पांच में से खासकर तीन प्रदेशों राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के परिणाम कांग्रेस पार्टी के लिए संजीवनी की तरह नजर आ रहे हैं। फाइनल नतीजों में अगर कांग्रेस ने इन तीनों राज्यों में बीजेपी से सत्ता छीनने में कामयाब होती नजर आ रही है। ऐसे में वह 2019 के आम चुनावों के लिए पूरे आत्मविश्वास के साथ मायावती, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, शरद पवार, चंद्रबाबू नायडू जैसे क्षेत्रीय क्षत्रपों के साथ गठबंधन की टेबल पर बात कर सकेगी।
उधर, ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ का नारा देने वाली बीजेपी को तो लोकसभा चुनाव से पहले तगड़ा झटका लगता दिख रहा है। रुझान अलग नतीजे में बदले तो उसे अब नई रणनीति पर काम करना होगा। बीजेपी के मास्टर स्ट्रोक समझे जाने वाले पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में जोरदार चुनाव प्रचार किया था लेकिन फिर भी दो राज्यों में पार्टी शर्मनाक हार की ओर बढ़ रही है।
‘देश का दिल’ कहे जाने वाले मध्य प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर जारी है। हालांकि कांग्रेस बढ़त बनाती दिख रही है। मंगलवार रात 11 बजे तक चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 230 सदस्यी विधानसभा में कांग्रेस को 73 और बीजेपी को 72 सीटों पर जीत मिल चुकी थी। इसके अलावा दोनों पार्टियां क्रमशः 41 और 47 सीटों पर आगे चल रही हैं। यानी कांग्रेस 114 और बीजेपी 109 सीटों पर आगे है या जीत चुकी है। बहुजन समाज पार्टी 2 और समाजवादी पार्टी 1 सीट पर आगे चल रही है। निर्दलीय 3 सीटों पर जीत चुके हैं जबकि एक पर आगे हैं। इन निर्दलियों में 3 कांग्रेस बागी हैं और तीनों जीत चुके हैं। इसलिए ऐसी संभावना है कि वह अंतिम परिणाम के बाद कांग्रेस के पाले में जा सकते हैं। बता दें कि ‘मामा’ के नाम से मशहूर शिवराज सिंह चौहान पिछले 13 साल से मध्य प्रदेश सीएम हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह ने इस बार मध्य प्रदेश में जोरदार चुनाव प्रचार किया था।
मरुभूमि राजस्थान में शुरुआती दौर में कांटे की टक्कर के बाद चुनाव परिणाम अपेक्षा के अनुरुप रहे। राजस्थान में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट की जोड़ी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए करीब बहुमत का आंकड़ा छू लिया है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया भले ही चुनाव जीत गईं लेकिन उनके कई मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा। 199 सीटों के नतीजों के मुताबिक कांग्रेस 99, बीजेपी 73, बीएसपी 6, पूर्व बीजेपी नेता हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी 3 सीटों पर जीत चुकी है। आरएलडी को 1, सीपीएम को एक, भारतीय ट्राइबल पार्टी को 2, निर्दलियों को 6 सीटें मिली हैं। बहुमत का आंकड़ा 100 सीटों का है। आरएलडी ने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है।
हालांकि यहां राज्य में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री कौन होगा, इसको लेकर अभी पेच फंसा हुआ है। पिछले चुनाव में बीजेपी के खाते में 160 सीटें, कांग्रेस के खाते में 25 और अन्य के खाते में 15 सीटें आई थीं। 1993 में एक साल के राष्ट्रपति शासन से उबरे राजस्थान में बीजेपी की सरकार बनी थी। तब से अब तक 5 बार चुनाव हो चुके हैं और हर पांच साल में जनता बीजेपी को कांग्रेस से और कांग्रेस को बीजेपी से बदलती रही है। इस बार छठा चुनाव था और यही सिलसिला बना रहा।
‘धान का कटोरा’ कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में पिछले 15 साल से सत्ता में काबिज ‘चाउर वाले बाबा’ मुख्यमंत्री रमन सिंह को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी दो तिहाई बहुमत हासिल करती दिख रही है। चुनाव आयोग के रात 11 बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक 90 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस 39 सीटें जीत चुकी है, 29 पर आगे चल रही है। बीजेपी 8 सीटें जीत 7 पर आगे चल रही है। बीएसपी एक जीत एक पर आगे, अजीत जोगी की जनता कांग्रेस दो जीत तीन पर आगे चल रही है।
छत्तीसगढ़ में 90 सीटों के लिए दो चरणों में 12 नवंबर और 20 नवंबर को मतदान हुआ था। इसमें राज्य के 76.60 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। बता दें कि वर्ष 2013 में हुए चुनाव में बीजेपी ने 49 सीटों पर जीत के साथ सरकार बनाई थी। वहीं कांग्रेस को 39 सीटों पर, बहुजन समाज पार्टी को एक सीट पर जीत मिली थी जबकि एक सीट पर स्वतंत्र उम्मीदवार की जीत हुई थी
देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में तेलंगाना के कार्यवाहक मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव असली हीरो साबित हुए। केसीआर का करीब 6 महीने पहले चुनावी मैदान में उतरने का फैसला बिल्कुल सही साबित हुआ और उनकी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति 86 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। इस तरह टीआरएस दो तिहाई से ज्यादा बहुमत की ओर बढ़ रही है। इसके साथ ही केसीआर ने तेलंगाना में सत्ता में आने का सपना देख रहे कांग्रेस-टीडीपी गठबंधन के इरादों पर पानी फेर दिया। कांग्रेस-टीडीपी गठबंधन मात्र 23 सीटों पर या तो जीत चुका है या आगे चल रहा है। इस तरह एक बार फिर से तेलंगाना टीआरएस के गुलाबी रंग में रंग गया।
टीआरएस को वर्ष 2013 में 63 सीटें मिली थीं। मुख्यमंत्री केसीआर गजवेल सीट से चुनाव जीत गए हैं। उधर, हैदराबाद में राजनीति करने वाले AIMIM के फायरब्रैंड नेता असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी भी एक सीट जीत गई है और 6 पर आगे चल रही है। असदुद्दीन के भाई अकबरुद्दीन ओवैसी चंद्रयान गट्टा सीट से करीब 80 हजार वोटों से जीत गए हैं। बता दें कि AIMIM ने पहले से ही टीआरएस को समर्थन देने का ऐलान कर रखा है।
राज्य में बीजेपी भी दो सीटों पर आगे चल रही है। तेलंगाना में इस बार जमकर वोटिंग हुई थी। राज्य की 200 में से 199 सीटों के लिए मतदान हुआ था। इसमें 74.21 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। रुझान के मुताबिक TRS को करीब 48 फीसदी और कांग्रेस को 29 प्रतिशत वोट मिला है। राजनीतिक विश्लेषकों का अनुमान था कि राज्य में सत्तारूढ़ टीआरएस, कांग्रेस-टीडीपी गठबंधन और बीजेपी में त्रिकोणीय मुकाबला होगा लेकिन केसीआर ने बंपर जीत दर्ज कर सभी को गलत साबित कर दिया
मिजोरम में कांग्रेस पार्टी को मिजोरम नैशनल फ्रंट के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा है। राज्य में एमएनएफ ने 23 सीटों पर जीत हासिल की और 3 सीटों पर आगे चल रही है। ईसाई बहुल मिजोरम में कांग्रेस पार्टी मात्र 5 सीटों पर जीत सकी। इस हार के साथ ही कांग्रेस पार्टी भारत का द्वार कहे जाने वाले पूर्वोत्तर के सभी राज्यों से सत्ता से बाहर हो गई है। आलम यह रहा कि सीएम ललथनहवला भी अपनी सीट नहीं बचा पाए और उन्हें चंफाई साउथ सीट से हार का मुंह देखना पड़ा। वह दो सीटों पर चुनाव लड़ रहे थे और दोनों जगहों से वह हार गए।
बता दें कि राज्य की 40 विधानसभा सीटों के लिए 29 नवंबर को मतदान हुआ था। विधानसभा चुनाव में लगभग 75 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। चुनाव में 209 उम्मीदवार मैदान में थे। वर्ष 2013 में एमएनएफ को मात्र 5 सीटें मिली थीं। इस चुनाव में बीजेपी ने पहली बार 39 सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए थे लेकिन उसे मात्र एक सीट पर जीत मिली। मिजोरम के निवर्तमान सीएम ललथनहवला ने तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के लिए जोरदार चुनाव प्रचार किया था। यही नहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी यहां चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे थे।
उधर, बीजेपी ने भी पूर्वोत्तर में कांग्रेस के इस आखिरी किले को फतह करने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी। 1987 में पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद से मिजोरम में कांग्रेस और मिजोरम नैशनल फ्रंट सत्ता में हैं। दिलचस्प यह है कि तब से लेकर आज तक कोई भी पार्टी राज्य में दो बार से अधिक सरकार नहीं बना सकी है। इस चुनाव में भी यह रेकॉर्ड कायम रहा। वोट प्रतिशत में भी कांग्रेस बहुत पीछे रही। कांग्रेस को करीब 30 फीसदी, एमएनएफ को करीब 38 फीसदी और बीजेपी को करीब 8 प्रतिशत वोट मिले।