प्रदीप शर्मा
वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है. सूत्रों के मुताबिक- आजाद अब नई पार्टी बनाने जा रहे हैं. बता दें कि गुलाम नबी आजाद काफी लंबे समय से नाराज चल रहे थे. आजाद ने इस संबंध में सोनिया गांधी को पांच पन्नों की चिट्ठी भी लिखी है, जिसमें राहुल गांधी पर हमला बोला गया है. उन्होंने इस खत में राहुल पर बचकाने व्यवहार का आरोप लगाया और कांग्रेस की ‘खस्ता हालात’ और में 2014 लोकसभा चुनाव में हार के लिए राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया है. सोनिया गांधी को लिखी गई 5 पेज की चिट्ठी में गुलाम नबी आजाद ने लिखा है, जनवरी 2013 में राहुल गांधी को आपके द्वारा कांग्रेस उपाध्यक्ष बनाया गया, उसके बाद पार्टी में मौजूद सलाह-मशविरे के सिस्टम को उन्होंने खत्म कर दिया. सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को साइडलाइन कर दिया गया और बिना अनुभव वाले चाटुकारों की मंडली पार्टी को चलाने लगी।
साथ ही, गुलाम नबी आजाद ने राहुल गांधी द्वारा अध्यादेश की कॉपी फाड़ने की घटना का भी जिक्र पत्र में किया है. उन्होंने इसको ही साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार की वजह बताया है. उन्होंने कहा, ‘उनकी अपरिपक्वता का सबसे बड़ा उदाहरण राहुल गांधी द्वारा मीडिया के सामने अध्यादेश को फाड़ना था. इस बचकाने व्यवहार ने प्रधानमंत्री और भारत सरकार के अधिकारों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया था. 2014 में यूपीए सरकार की हार के लिए यह घटना सबसे ज्यादा जिम्मेदार थी.’ बता दें, राहुल गांधी ने दागी नेताओं को बचाने वाले यूपीए सरकार द्वारा पारित अध्यादेश को राहुल गांधी ने मीडिया के सामने फाड़ दिया था. इस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह विदेश दौरे पर गए हुए थे।
गुलाम नबी आजाद ने कहा, 2014 से आपके नेतृत्व में और उसके बाद राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की दो लोकसभा चुनाव में अपमानजनक तरीके से हार हुई है. 2014 – 2022 के बीच हुए 49 विधानसभा चुनावों में से 39 में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. पार्टी ने केवल चार राज्यों के चुनाव जीते और छह बार गठबंधन की स्थिति में आने में सफल रही. दुर्भाग्य से, आज कांग्रेस का केवल दो राज्यों में शासन है और दो अन्य राज्यों में गठबंधन के सहयोगी हैं।
इसके अलावा गुलाम नबी आजाद ने पत्र में लिखा है कि यूपीए सरकार की संस्थागत अखंडता को ध्वस्त करने वाला ‘रिमोट कंट्रोल मॉडल’ अब कांग्रेस पार्टी में भी लागू हो गया है. सारे अहम फैसले राहुल गांधी या और भी बदतर उनके सुरक्षा गार्ड और पर्सनल असिस्टेंट द्वारा लिए जा रहे हैं।