नई दिल्ली : लड़ाकू जेट विमान मिराज के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश ने राजनीतिक नेतृत्व और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड से उनकी जवाबदेही बताने को कहा है।
जेट विमान मिराज शुक्रवार को बेंगलुरू में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के दो पायट शहीद हो गए। इस हादसे से सार्वजनिक क्षेत्र के विमान विनिर्माता की कार्यपद्धति पर उग्र बहस को नया ईंधन मिल गया है।
खुद नौसेना के विमान चालक रहे एडमिरल अरुण प्रकाश ने ट्वीट के जरिए कहा कि दशकों से सेना एचएएल की खराब गुणवत्ता की मशीन को उड़ा रही और अक्सर उसे जवानों की जान की कीमत चुकानी पड़ी है।
मिराज दुर्घटना को लेकर एक ट्वीट में प्रकाश ने कहा, मिराज को साधारण पायलट नहीं उड़ा रहे थे। ये बेहतरीन प्रशिक्षण से एएसटीई परीक्षण पास करने वाले पायलट थे। सेना ने दशकों से खराब गुणवत्ता वाली एचएएल मशीन उड़ाई है और अक्सर जवानों को जानें गंवानी पड़ी हैं, लेकिन एचएएल प्रबंधन ने नहीं समझा। अब इस बड़े पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम) के नेतृत्व और निदेशकों पर ध्यान देने का वक्त है।
उन्होंने कहा, एचएएल पर प्रहार उचित हो सकता है, लेकिन यह समय निर्वाचित प्रतिनिधियों पर भी सवाल उठाने का है। 1947 से इस विशाल डीपीएसयू (रक्षा पीएसयू) का निरीक्षण 35 रक्षामंत्रियों ने किया है, लेकिन किसी ने एचएएल से गुणवत्ता, उत्पादकता और एरोनॉटिकल इनोवेशन की मांग नहीं की।
मिराज हादसे के बारे में स्वतंत्र रूप से जो जानकारी मिल रही है, उसके अनुसार, एचएएल द्वारा अपग्रेड करने के बाद विमान शुक्रवार को उड़ान भरने की मंजूरी मिलने के अधीन था और विमान उड़ान भरने में विफल रहा था।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद राजीव चंद्रशेखर ने भी ट्वीट करके कहा कि अगर पायलट के परिवार एचएएल से जवाबदेही की मांग करते हैं, जो वह उनके लिए कानूनी सहायता सुनिश्चित करेंगे।
चंद्रशेखर ने ट्वीट में कहा, मेरे सूत्र बताते हैं कि अपग्रेड किए जाने के बाद विमान को उड़ान की दूसरी मंजूरी दी जानी थी। उड़ान भरने के दौरान एक पहिया निकल गया और रनवे पर चक्कर लगाने लगा। अगर परिवार एचएएल से जवाबदेही की मांग करते हैं तो उनको कानूनी मदद सुनिश्चित करेंगे।
इस विमान दुर्घटना में स्क्वोड्रन लीडर समीर अबरोल और सिद्धार्थ नेगी की मौत हो गई। दोनों भारतीय वायुसेना के एयरक्राफ्ट एंड सिस्टम्स टेस्टिंग स्टैब्लिसमेंट (एएसटीई) से उच्च प्रशिक्षण प्राप्त परीक्षण किए हुए पायलट थे।
इस हादसे से एचएएल के गुणवत्ता मानकों के मसले पर बहस फिर से तेज हो गई है।